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एकता भंग हो चुकी थी. कोई किधर को उड़ने लगा कोई किधर को. थके कमजोर पक्षियों ने तो चाल ही धीमी कर दी. इन सबके चलते जाल अब और संभल न पाया. नीचे गिरने लगा. अब तो पक्षियों के पंख भी उसमें फंस गए.

दौड़ता बहेलिया यह देखकर और उत्साह से भागने लगा. जल्द ही वे जमीन पर गिरे. बहेलिया अपने जाल और उसमें फंसे पक्षियों के पास पहुंच गया. सभी पक्षियों को सावधानी से निकाला और फिर उन्हें बेचने बाजार को चल पड़ा.

तुलसीदासजी कहते है- जहां सुमति तहां संपत्ति नाना, जहां कुमति तहां विपत्ति निधाना. यानी जहां एकजुटता है वहां कल्याण है. जहां फूट है वहां अंत निश्चित है. महाभारत के उद्योग पर्व की यह कथा बताती कि आपसी मतभेद में किस तरह पूरे समाज का विनाश हो जाता है.

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