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उसके ऐसे वचन सुनकर श्रीहरि को खेद तो हुआ किंतु उसी क्षण देवेश ने तथास्तु कह दिया. अब श्रीविष्णु अन्य देवताओं के साथ जलंधरपुरी में निवास करने लगे. जलंधर अपनी बहन के साथ विष्णुजी एवं अन्य देवों को पाकर बड़ा खुश हुआ.

देवताओं के सभी रत्न आदि उनके स्थान पर स्थापित करके जलंधर पृथ्वी पर आ गया. निशुंभ को पाताल में स्थापित कर दिया. फिर देव, दानव, यक्ष, गंधर्व, सर्प, राक्षस मनुष्य सभी का अधिपति होकर त्रिभुवन पर शासन करने लगा.
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