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भगवान के हर प्रहार का वह भऱपूर उत्तर देता. भगवान की गदा की मार झेल गया. उनके धनुष की डोर काट दी और त्रिशूल का प्रहार किया जिसे भगवान ने शिवजी की कृपा से नष्ट किया. जलंधर ने लपककर भगवान की छाती में जोरदार मुक्का मारा.
दोनों के बीच बाहुयुद्ध आरंभ हुआ. भगवान काफी देर तक उसके साथ युद्ध करते रहे. भगवान जलंधर के पराक्रम पर मुग्ध हो रहे थे. उन्हें उसके साथ मल्लयुद्ध में आनंद आने लगा.
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