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इंद्र ने वृतासुर का वध कर दिया. एक बार फिर ब्रह्महत्या का पाप इंद्र का पीछा करने लगा. विश्वरूप की हत्या का पाप तो धरती, जल, स्त्रियों और वृक्षों ने उठा लिया था.

इंद्र फिर से संकट में थे. ऋषियों ने इंद्र को कहा कि वह यज्ञों के माघ्यम से इस पाप से मुक्ति कराएंगे. ब्रह्म हत्या के दोष पीड़ित इंद्र को कहीं शरण न मिल रही थी.

हारकर इंद्र मानसरोवर में एक कमल की डंठल में छिप गए. मानसरोवर लक्ष्मीजी द्वारा रक्षित है इसलिए ब्रह्महत्या का दोष वहां प्रवेश नहीं कर सका.

इंद्र ने मानसरोवर में हज़ार वर्षों तक तप करके पाप का प्रायश्चित किया. इस दौरान इंद्र यज्ञों में समर्पित हविष से वंचित रहे. स्वर्ग इंद्रविहीन हो गया था.
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