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पिछली कथा से आगे…
मंत्री विपश्चित ने कथा सुनानी शुरू की- राजा पूर्व जन्म में विराधनगर के एक धनी वैश्य हुए. इनका नाम विश्वंभर और इनकी पत्नी का नाम सत्यमेधा था. दोनों निरंतर धर्म कार्य करते थे.
एक बार इन्होंने अपने बंधु-बांधवों के साथ तीर्थयात्रा की और लौटते समय लोमश ऋषि का आश्रम पड़ा तो उनके दर्शन को गए. लोमश ऋषि ने पूछा कि आप कहां से आ रहे हैं?
वैश्य ने सैकड़ों छोटे-बड़े तीर्थों के नाम गिनाकर कहा कि इन तीर्थों से मुझे प्रतीत होता है कि मैं अब पवित्र हो गया हूं. परंतु आंतरिक और बाह्य दोनों स्तर पर मैं पवित्र हुआ या नहीं, यह तो आप जैसे ज्ञानी ऋषि ही बता सकते हैं.
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