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अमीर बोला- वह तो ठीक है लेकिन तुम्हारे पास धन आने के बाद वाली खुशी तो नहीं है. उस खुशी का भी आनंद लो. सच पूछो तो आनंद उसी में है.

मछुआरे ने कुछ सोचा फिर पूछा- आप कहां जा रहे थे? अमीर ने कहा- मैं वैद्य के पास जा रहा था. मुझे मधुमेह, रक्तचाप, अनिद्रा हृद्य और पेट की कई बीमारियां हो गई हैं भाई.

वैद्य का लगातार चक्कर लगा रहता है. एक बीमारी दबती है तो दूसरी उभर आती है. परेशान हो गया हूं इन बीमारियों के चक्कर में. धन और शरीर दोनों जा रहे हैं.

मछुआरे ने पूछा- आपको यह सब बीमारी बचपन से थी. सेठ ने इतराते हुए कहा- नहीं, मैं पहले बहुत तगड़ा आदमी था. मेरे जैसे हठ्ठे-कठ्ठे इंसान को देखकर दूसरों में ईर्ष्या होती थी.

खूब मेहनत करता था. काम के सिलसिले में मीलों पैदल चलता. बीमारी क्या होती है मुझे पता भी नहीं था. पर अब वह बात ही नहीं रही. भोजन से ज्यादा दवाइयां ही खाता हूं.

मछुआरे ने पूछा- अच्छा फिर अब ऐसा क्यों हो गया? आपके साथ कोई दुर्घटना या अनहोनी हो गई क्या?

सेठ अब उससे आत्मीयता महसूस करने लगा था.

उसने अपना दुखड़ा सुनाना शुरू किया- काम बढ़ने से अब चलना-फिरना नहीं हो पाता. व्यापार के नफा-नुकसान का हिसाब रखने की सुध में खाने की सुध नहीं रहती.

काम बढ़ने से चिंता बहुत बढ़ गई और रक्तचाप ने धेर लिया. रक्तचाप के कारण हृदय कमजोर हो गया है. जब शरीर का नियम बिगड़ता है तो पेट की परेशानी आती ही है. इस तरह रोगों के चक्र में फंस गया हूं भाई.

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