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भगवान अपनी बनाई व्यवस्था को कभी बदलते नहीं. सो एक दिन कर्माबाईजी के भी प्राण छूटे. उस दिन भगवान बहुत रोए. पुजारी ने पट खोला तो देखा भगवान रो रहे थे.
पुजारी ने रोने का कारण पूछा तो भगवान बोले- आज मेरी माँ इस लोक को छोड़कर मेरे लोक को विदा हो गई. अब मुझे कौन खिचड़ी बनाकर खिलाएगा.
पुजारी ने कहा- प्रभु आप की माता की कमी महसूस न होने दी जाएगी. आज से सबसे पहले रोज खिचड़ी का भोग लगेगा
इस तरह आज भी जगन्नाथ भगवान को खिचड़ी का भोग लगता है.
ये किंवदंतियां हैं. भक्तों की भगवान के प्रति आस्था और बदले में भगवान का भक्तों के प्रति कई गुणा ज्यादा स्नेह को बताने के लिए ये कथाएं अस्तित्व में आईं.
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इनमें आप भक्ति का रस चखने की कोशिश करें तो आनंद आएगा. ईश्वर की शक्ति के आगे तर्कशीलता भी तनमस्तक होती है. तभी तो चिकित्सा विज्ञान के लोग भी कहते हैं- दवा से ज्यादा दुआ काम आएगी.
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