October 8, 2025

क्या सीताजी को भी युद्ध में आना पड़ा था, और क्यों? अनसुनी कथा

sita-with-luv-and-kush-CH85_l

पौराणिक कथाएँ, व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र, गीता ज्ञान-अमृत, श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ने के हमारा लोकप्रिय ऐप्प “प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प” डाउनलोड करें.

Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

[sc:fb]
आपको आज एक कथा सुना रहे हैं जो शायद आपने नहीं सुनी होगी. यह कथा है सीताजी के रणभूमि में जाकर संग्राम करने की. आनंद रामायण में यह कथा आती है.

भगवान श्रीराम रावण को मारने के बाद फिर लंका लौटे, कारण था कुंभकर्ण के बेटे का संहार करना. पर इस बार पराक्रम दिखाया माता सीता ने, वे चंडिका की तरह लड़ीं.

भगवान् श्रीराम राजसभा में विराज रहे थे उसी समयविभीषण वहां पहुंचे. वे बहुत भयभीत और हडबड़ी में लग रहे थे. सभा में प्रवेश करते ही वह कहने लगे– हे श्रीराम! मुझे बचाइये, कुम्भकर्ण का बेटा मूलकासुर आफत ढा रहा है .अब लगता है न लंका बचेगी और न मेरा राजपाट.

भगवान श्री राम द्वारा ढांढस बंधाये जाने और पूरी बात बताये जाने पर विभीषण ने बताया कि कुम्भकर्ण का एक बेटा मूल नक्षत्र में पैदा हुआ था. इसलिये उस का नाम मूलकासुर रखा गया. इसे अशुभ जान कुंभकर्ण ने जंगल में फिंकवा दिया था.

जंगल में मधुमक्खियों ने मूलकासुर को पाल लिया. मूलकासुर बड़ा हुआ तो उसने कठोर तपस्या कर के ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया, अब उनके दिये वर और बलके घमंड में भयानक उत्पात मचा रखा है. जब जंगल में उसे पता चला कि आपने उसके कुल का नाशकर लंका जीत ली और राजपाट मुझे सौंप दिया है इससे वह बहुत क्रोधित है.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

Share: