October 8, 2025

कन्या पूजन के बिना नवरात्रि की पूजा पूर्ण नहीं है, क्यों कन्या पूजन को सर्वाधिक महत्व दिया गया?

नवरात्रि हवन की विधि

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नवरात्रि पूजन से जुड़ी कई परंपराएं हैं, जैसे कन्या पूजन. शिवपुराण में एक प्रसंग है कि माता पार्वती जब आठ वर्ष की थीं तो एक बार उनके पिता और पर्वतराज हिमवान साथ लेकर शिवजी की सेवा में प्रस्तुत हुए.

हिमवान को नारदजी ने बता दिया था कि भगवती ने आपके घर में अवतार लिया है और इनका विवाह शिवजी से ही होना है. जब शिवजी ने हिमवान के साथ बालिका गौरी को देखा तो कौतुक किया.

उन्होंने हिमवान से कहा कि आप प्रतिदिन मेरे दर्शन को आ सकते हैं परंतु यह बालिका नहीं आ सकती.

माता ने बड़े मृदु स्वरों में शिवजी के साथ तर्कपूर्ण रूप से प्रकृति और पुरूष का संबंध बताया जिससे शिवजी प्रसन्न हुए और माता को सेवा का अवसर प्रदान किया. माता और शिवजी के बीच का वह तर्क-वितर्क बड़ा ज्ञानप्रद है. शिवजी ने अंततः माना कि पुरुष और प्रकृति के माता के तर्क को स्वीकार किया और उन्हें सेवा का अवसर भी दिया.

(**संसार की उत्पत्ति और स्त्री-पुरुष क्यों बने, कैसे बने, ब्रह्म कौन है इस रहस्य का सुंदर परिचय है उसमें. महादेव शिव शंभु एप्प में प्रकाशित शिवपुराण में यह प्रसंग है.पढ़ने के लिए डाउनलोड करें MAHADEV SHIV SHAMBHU Apps from Play Store.**)

कुंआरी कन्याएं माता के समान ही पवित्र और पूजनीय मानी जाती हैं. इसलिए नवरात्रि में जब माता की विशेष आराधना की जाती है उस दौरान कन्या पूजन की विशेष रूप से मान्यता दी गई हैं.

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