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मुझे कुछ सूझ नहीं रहा है. बेटे ने कहा-पिताजी आप मुझे राजा के पास ले चलना. उनके सवालों का जवाब मैं दूंगा. ठीक एक महीने बाद ब्राह्मण अपने बेटे को साथ लेकर राजा के पास गया और बोला आप के सवालों के जवाब मेरा बेटा देगा.

राजा ने ब्राहमण के बेटे से पूछा बताओ ईश्वर कहाँ रहता है? ब्राहमण के बेटे ने कहा- राजन! पहले अतिथि का आदर सत्कार किया जाता है. आपने तो बिना आतिथ्य किए ही प्रश्न पूछना शुरू कर दिया है.

राजा इस बात पर कुछ लज्जित हुए और अतिथि के लिए दूध लाने का आदेश दिया. दूध का गिलास आया. लड़के ने गिलास हाथ में पकड़ा और दूध में अंगुली डालकर घुमाकर बार बार दूध को बाहर निकाल कर देखने लगा.

राजा ने पूछा ये क्या कर रहे हो? लड़का बोला- सुना है दूध में मक्खन होता है. मैं वही देख रहा हूं कि दूध में मक्खन कहाँ है? आपके राज्य के दूध में तो मक्खन ही गायब है.

राजा ने कहा दूध में मक्खन होता है,परन्तु वह ऐसे दिखाई नहीं देता. दूध को जमाकर दही बनाया जाता है. फिर दही को मथते हैं तब जाकर मक्खन प्राप्त होता है.

ब्राहमण के बेटे ने कहा- महाराज यही आपके सवाल का जवाब है. परमात्मा प्रत्येक जीव के अन्दर विद्यमान है. उसे पाने के लिए नियमों का अनुष्ठान करना पड़ता है.
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