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चर्म सूर्यशतं गृह्यं खड्गं चन्द्रमसं तथा।
नैर्ऋत्यां मां च रक्षस्व दिव्यमूर्त्ते नृकेसरिन्।।7

(हे भगवान नरसिंह! आपको नमस्कार है. आप सूर्य और चंद्रमा के समान प्रकाशवान हैं. हाथों में अपना चर्म खड्ग धारण कर आप नैऋत्य कोण से मुझ शरणागत की रक्षा करें.)

वैजयन्तीं प्रगृह्य त्वं श्रीवत्सं कण्ठभूषणम्।
वायव्यां रक्ष मां देव हयग्रीव नमोस्तुते।।8

(हे हयग्रीव अवतार! आपको नमस्कार है. आप हाथों में बैजयतीं माला और गले में श्रीवत्स कंठाहार से सुशोभित होकर वायव्य कोण से मुझ शरणागत की रक्षा करें.)

वैनतेयं समारुह्य त्वन्तरिक्षे जनार्दन।
मां त्वं रक्षाजित सदा नमस्ते त्वपराजित।।9

(हे जनार्दन! आपको नमस्कार है. आप विनीतापुत्र गरूड़ पर सवार होकर अंतरिक्ष से मुझ शरणागत की रक्षा करें.)
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