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अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
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भगवान ने मत्स्य यानी मछली का रूप धरकर कोई संदेश दिया है या बस यूं ही लिया अवतार? भगवान भी मछली, कछुआ, शूकर और पता नहीं क्या-क्या अवतार लेते हैं. यह सब कहानियां झूठी हैं. भगवान ऐसे जीव क्यों बनेंगे. शेर, मोर गाय क्यों नहीं बनते. यह सब ढकोसला है. पुराण एक कोरी कल्पना है.

ऐसी बातें मैं रोज सुनता हूं. लोग व्हॉट्सएप्प पर या सामने की चर्चा में यह सब कहते रहते हैं. कोई उत्तर नहीं देता बस कह देता कि प्रभु शरणम् को पढ़ते रहो तुम्हारे प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे. किसी की मूर्खता का क्या उत्तर देना?

आज कार्तिक पूर्णिमा है. आज श्रीहरि ने मत्स्य अवतार लिया था. क्या अर्थ है इस मत्स्य अवतार का आज हम इसे समझेंगे. पोस्ट को पूरा पढ़िएगा. पहले मत्स्य अवतार की कथा सुनेंगे फिर उस कथा के पात्रों का क्या औचित्य है इसकी बात करते हुए कथा का अर्थ समझेंगे. आशा है आपको आनंद आएगा.

कल्प के अंत में ब्रह्माजी के सो जाने से ब्राह्म नामक नैमित्तिक प्रलय उत्पन्न हुआ. उस प्रलय के प्रभाव से संपूर्ण पृथ्वी जलमग्न हो गई यानी जलमें समा गई. निद्रा की स्थिति में ब्रह्माजी के मुख खुले रह गए तो उनके मुख में वास करने वाले चारो वेद देवता बाहर निकल आए.

हयग्रीव नामक दैत्य इसी ताक में था कि कब वेदों का हरण कर लिया जाए. दैत्य को यह बात पता थी कि वेद ऋचाओं के माध्यम से ही मनुष्य आदि अपनी शक्तियां देवताओं तक पहुंचाते रहते हैं जिसके कारण देवताओं का बल कभी कम नहीं होता.

हयग्रीव देवताओं के शक्तिस्रोत को बंद करना चाहता था इसलिए उसने तत्काल वेदों का हरण कर लिया ताकि देवताओं को यज्ञ और मंत्रोच्चारों से मिलने वाली शक्ति बंद हो जाए.

जल्दी ही वेदों का ज्ञान लुप्त होता चला गया तो अधर्म का बोलबाला हो गया. धर्म से देवता पुष्ट होते हैं परंतु धर्म तो लुप्त हो गया था.

देवों की शक्ति घटी तो स्वाभाविक था कि दैत्य बलशाली हो जाएं. शक्तिहीन देवताओं को दैत्यों ने प्रताडि़त करना आरंभ कर दिया. उन्हें उनके लोक से बलपूर्वक भगा दिया. उनके धन और स्त्रियों पर आधिपत्य जमा लिया.

बेघर-बेसहारा देवताओं ने भगवान श्रीविष्णु से रक्षा की गुहार लगाई. देवताओं ने भांति-भांति से स्तुति करके श्रीहरि को प्रसन्न किया और उनसे उद्धार की विनती की.

ब्रह्माजी अभी भी निद्रा में थे. सबसे आवश्यक था कि वेदों को प्राप्त किया जाए और फिर ब्रह्माजी को जगाकर उनके संरक्षण में रख दिया जाए. चूंकि समूची पृथ्वी जल से भरी थी इसलिए हयग्रीव को वेदों को छुपाने का सबसे सुरक्षित स्थान लगा- समुद्र. उसने गहरे समुद्र में वेदों को छिपा दिया.

वेदों का पता लगाने के लिए समुद्र में उथल-पुथल लाना जरूरी था क्योंकि जल के अतिरिक्त कुछ था ही नहीं.

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1 COMMENT

  1. Maine Ye app download Kiya hai isme bhout gyyan ki baate post hoti hai meri puri family Ye app download Kiya hai aur isse aur Bhi logo ko hamne bataya logone iska labh liya aapko pranam karte hai

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