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वशिष्ठ ने कहा, श्रीराम नंदिनी जैसी श्रेष्ठ गाय पहले से ही मेरे पास है यह चिंतामणि तो ठीक पर मैं गोदान में कामधेनु ले कर क्या करूंगा. इससे मेरी तृप्ति नहीं होने वाली. देना ही है तो अपनी घोषणा के मुताबिक ये आभूषणों सहित अपनी सीता का दान दे दो.
वशिष्ठ का इतना कहना था कि वहां हाहाकार मच गया. कोई कहता बूढे वशिष्ठ सठिया गये हैं तो कोई उन्हें पागल बताता. कोई कहता नहीं ये भगवान श्रीराम के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं. वशिष्ठ सब को दिखाना चाहते हैं कि भगवन राम भी लोगों के सामने अपना आपा खो सकते हैं या फिर वे जो कहते हैं, करते नहीं.
हो हल्ले के बीच ही श्रीराम ने मां सीता को बुलाया, मुस्कुराते हुये भगवान राम ने सीता का हाथ अपने हाथ में लेते हुये कहा, गुरु वशिष्ठ, आप स्त्री दान का उचित मंत्र पढें मैं सीता को दान में देने के लिये तैयार हूं. वशिष्ठ ने मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया.
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