हिंदू धर्म में श्राद्ध तर्पण का बड़ा महत्व कहा गया है. आखिर श्राद्ध तर्पण आदि का विधान कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ? श्राद्ध तर्पण के आरंभ से जुड़ी एक कथा गरूड़ पुराण में आती है जो आपको जाननी चाहिए.

उससे पहले यह समझना चाहिए कि सनातन पुनर्जन्म और पूर्वजन्म की अवधारणाओं को मानता है. हमारी वैदिक मान्यताएं और ज्योतिष आदि सब इसे मानते हैं.  इस मान्यताओं में पितरों की तृप्ति बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. इसीलिए बहुत जरूरी हो जाते हैं श्राद्ध तर्पण कर्म.

श्राद्ध तर्पण क्यों, कब और कैसे करें.
Shraddh tarpan

धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-

[sc:fb]

प्रभु शरणं एक फ्री ऐप्प है जिसका उद्देश्य है धर्म प्रचार. देश-विदेश में बसे सनातनियों को हिंदू धर्म से जोड़े रखने और उन्हें धर्म से जुड़ी आवश्यक जानकारियां प्रदान करने लिए इसे बनाया गया है. इसलिए इसे इंटरनेट जगत का मंदिर कहा जाता है. इसमें  आपको वेद-पुराण की कथाएं, हिंदू पंचांग, सभी प्रमुख व्रत-त्योहार की कथाएं, देवी-देवताओं के सभी प्रमुख मंत्र, पूजा की विधि, रामायण, रामशलाका प्रश्नावली और अन्य धार्मिक जानकारियां सहज  ही मिल जाती है. मात्र 6 MB का छोटा सा ऐप्प  है जो आपको  धर्म से जोड़े रखेगा. हर  हिंदू  के मोबाइल में होना चाहिए यह  इंटरनेट जगत का मंदिर . प्लेस्टोर में सर्च करें Prabhu Sharnam अथवा इस लिंक से डाउनलोड करें. आपके जीवन का अंग बन जाएगा.

धर्मप्रचार के लिए बना सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प प्रभु शरणम् फ्री है.
Android मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करने के लिए यहां पर क्लिक करें

 

महाभारत काल में श्राद्ध तर्पण कर्म होते थे इसके बारे में पता उन बातों से चलता है जिसमें भीष्म पितामाह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में कई बातें बताई हैं. साथ ही भीष्म ने श्राद्ध की परंपरा की शुरुआत और धीरे-धीरे जनमानस तक परंपरा के पहुंचने के संदर्भ में भी बताया है.
महाभारत के अनुसार, सबसे पहले महातपस्वी अत्रि ने महर्षि निमि को श्राद्ध के बारे में उपदेश दिया था.
इसके बाद महर्षि निमि ने श्राद्ध करना शुरू कर दिया. महर्षि को देखकर अन्य ऋषि-मुनि भी पितरों को अन्न देने लगे. लगातार श्राद्ध का भोजन करते-करते देवता और पितर पूर्ण तृप्त हो गए पर श्राद्ध कर्म चलते रहे.
लगातार श्राद्ध का भोजन पाने से देवताओं और पितरों को अजीर्ण रोग हो गया. इससे उन्हें परेशानी होने लगी. इस परेशानी से छुटकारा  पाने के लिए वे ब्रह्माजी के पास गए और अपने कष्ट के बारे में बताया. देवताओं और पितरों की बातें सुनकर उन्होंने बताया कि अग्निदेव आपका कल्याण करेंगे. आप उनके पास जाएं.
देवताओं और पितरों ने अग्निदेव को ब्रह्माजी का आदेश सुनाया और हल निकालने को कहा. अग्निदेव ने देवताओं और पितरों से कहा कि अब से श्राद्ध में हम सभी साथ में भोजन किया करेंगे. मेरे पास रहने से आपका अजीर्ण भी दूर हो जाएगा. यह सुनकर सभी प्रसन्न हो गए.
इसके बाद से ही सबसे पहले श्राद्ध का भोजन पहले अग्निदेव को दिया जाता है, उसके बाद ही देवताओं और पितरों को दिया जाता है.
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि हवन में जो पितरों के निमित्त पिंडदान दिया जाता है, उसे ब्रह्मराक्षस भी दूषित नहीं करते. इसलिए श्राद्ध में अग्निदेव को देखकर राक्षस भी वहां से चले जाते हैं. अग्नि हर चीज को पवित्र कर देती है. पवित्र खाना मिलने से देवता और पितर प्रसन्न हो जाते हैं.
पिंडदान सबसे पहले पिता को, उनके बाद दादा को और उनके बाद परदादा को देना चाहिए. शास्त्रों में यही श्राद्ध की विधि बताई गई है.  जिसका भी पिंडदान आप दे रहे हैं, उस समय एकाग्रचित्त होकर गायत्री मंत्र का जाप तथा ‘सोमाय पितृमते स्वाहा‘ का जप करें.
श्राद्ध में इन तीन पिंडों का है विधान
महाभारत के अनुसार, श्राद्ध में तीन पिंडों का विधान है.
पहला पिंड जल में देना चाहिए. दूसरा पिंड गुरुजनों को देना चाहिए. तीसरा पिंड अग्नि को देना चाहिए.  इससे मनुष्य की समी कामनाएं पूर्ण होती हैं. पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष हर साल भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक रहते हैं.

आदि आप श्राद्ध या अन्य सनातन विषयों में जानने के सचमुच इच्छुक हैं तो आप तत्काल प्रभु शरणम् ऐप्प डाउनलोड कर लें. श्राद्ध से जुड़ी ऊपर कही गई सारी जानकारियां प्रभु शरणम् ऐप्प में प्रकाशित होनी शुरू हो गई हैं. ये सारी जानकारियां ऐसी हैं जो आपके लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होंगी. आपके जीवन की दिशा बदल देंगी. सनातन परंपराओं की रक्षा उसके प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से बनाया गया है. हमारा उद्देश्य है आपको शास्त्र आधारित जानकारी देना ताकि आप अगली पीढ़ी तक इसे पहुंचा सकें. सनातन की रक्षा, सनातन का प्रचार तकनीक की दुनिया में तकनीक के सहारे ही करना होगा.

हम अपने गांव-घर से दूर होते जा रहे हैं. ऐसे में तकनीक ही हमें हमारी विरासत से जोड़े रखेगा. प्रभु शरणम् धर्मप्रचार के लिए बना है इसलिए एकदम फ्री है. पांच लाख लोग इसका लाभ ले रहे हैं. आपको पसंद न आए तो डिलिट कर दीजिएगा पर बिना देखे कैसे निर्णय होगा. नीचे लिंक से डाउनलोड करें या प्लेस्टोर में Prabhu Sharnam सर्च करके डाउनलोड कर लें.
हिंदू धर्म से जुड़ी सभी शास्त्र आधारित जानकारियों के लिए प्रभु शरणम् से जुड़ें. धर्मप्रचार के लिए बना सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प प्रभु शरणम् फ्री है.
Android मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करने के लिए यहां पर क्लिक करें

[irp posts=”7090″ name=”भूत प्रेत सताएं तो 15 जबरदस्त उपाय जिनसे उन्हें भगाएं”]

[irp posts=”6682″ name=”इन संकेतों से जानें आसपास भूत प्रेत आत्मा का वास तो नहीं”]

इस लाइऩ के नीचे फेसबुक पेज का लिंक है. इसे लाइक कर लें ताकि आपको पोस्ट मिलती रहे. धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-

हम ऐसी कहानियां देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page

धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here