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विक्रमादित्य ने उत्तर दिया- प्रजा के प्रति उपकार करना राजा का धर्म होता है. गुणाधिप धर्मनिष्ठ था. इसलिए उसने उपकार करके अपने धर्म की रक्षा की. इसमें कोई बहुत विशेष बात नहीं है.

परंतु अन्य राज्य से आकर राजा की सेवा में लोलुप रहने वाले राजकुमार ने कष्ट सहा और राजा को वीरान वन में साथ दिया. उसका सहायक और मार्गदर्शक बना. उसने यह कार्य तब किया जब राजा ने उसे अपनी सेवा में नहीं रखा था.

अर्थात राजकुमार का कार्य एक सेवक का स्वामी के प्रति त्याग नहीं माना जाएगा. वह निःस्वार्थ त्याग था. संभव है कि उस दिन राजकुमार के न मिलने पर वन में राजा के साथ कोई अनहोनी हो जाती. इसलिए राजकुमार का उपकार बढ़कर हुआ.
(भविष्य पुराण)

संपादनः प्रभु शरणम्

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