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विवाह के मंगल मौके पर हत्या हो गई थी. भगवान असमंजस में पड़ गए कि किसका साथ दें. मरने वाला उनकी पत्नी का भाई और मारने वाला उनका भाई. भगवान ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया.

श्रीकृष्ण ने कहा- मंगलमय उत्सव में व्यसनों को निमंत्रण देने से इस बात की आशंका थी कि किसी न किसी का अपमान होगा. मंगलकार्यों में अगर व्यसन होंगे तो वहां से मंगल विदा हो जाएगा और अमंगल का वास होगा.

बाणासुर श्रीकृष्ण से मिले जीवनदान के बाद और निरंकुश हो गया था. शिव-पार्वती की तो कृपा उस पर पहले से ही थी. बाणासुर का वध कैसे हुआ. उसका वध शक्ति की ही अंश एक कुँआरी देवी ने किया. इस पर कई प्रचलित कथाएं हैं.

दक्षिण भारत में उन्हें कन्याकुमारी कहा जाता है और उत्तर भारत में सूर्यवंशियों की आराध्य देवी बायण माता. यह कथा भी बहुत प्रचलित है. इसे भी सुना देंगें.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

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1 COMMENT

  1. आपके द्वारा दी गई कथाएँ काफी रोचक व ग्यानबर्धक है आपको कोटि कोटि आभार

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