[sc:fb]

इंद्र बोले- भंगस्वाना तुम कुछ बच्चों के पिता हो तो कुछ बच्चों को तुमने माता के रूप में जन्म दिया है. दोनों में से किसी एक पक्ष के बच्चों को मैं जीवित कर सकता हूं. तुम बोलो किसे जीवित करूं?

भंगस्वाना ने कुछ देर तक विचार किया. वह सोचते रहे कि अग्नि को प्रसन्न करने के लिए क्या-क्या यत्न किए थे. क्या-क्या हो गया. मेरे राजपुत्र कितने योग्य थे. पराक्रमी थे, प्रजापालक थे. फिर वह विचार करता कि नए स्वरूप में उसने ममत्व देखा है. दोनों में से कोई एक पक्ष की संताने ही जीवित हो सकती हैं.

राजा ने थोड़ा सोचने विचारने के बाद इंद्र से कहा- देवराज, मेरे उन पुत्रों को जीवित करें जिन्हें मैंने स्त्री की तरह जन्म दिया.

हिंदू धर्म से जुड़ी सभी शास्त्र आधारित जानकारियों के लिए प्रभु शरणम् से जुड़ें. सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प प्रभु शरणम् फ्री है.
Android मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करने के लिए यहां पर क्लिक करें

इंद्र ने यह सुना तो सहसा उन्हें विश्वास ही न हुआ. उन पुत्रों को प्राप्त करने के लिए तो राजा ने क्या-क्या यत्न किए थे. कितने जप-तप-यज्ञ किया था. मुझसे बैर लिया. फिर भी उन पुत्रों को जीवित करना नहीं चाहता. वह उन पुत्रों को जीवित करना चाह रहा है जिनका जन्म स्त्री के रूप में कामेच्छा की अग्नि शांत करने के क्रम में हुआ है.

विस्मय से भरे इन्द्र ने पूछा- आखिर ऐसा क्यों? क्या यज्ञ से प्राप्त तुम्हारे ज्येष्ठ पुत्र तुम्हें प्रिय नहीं हैं?

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here