मिलन का सुख किसे ज्यादा होता है-स्त्री को या पुरुष को? युधिष्ठिर के मन में यह प्रश्न बरसों से चल रहा था. शरशैय्या पर लेटे मृत्यु की प्रतीक्षा करते भीष्म से उन्होंंने यह प्रश्न किया.
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महाभारत के अनुशासन पर्व में मनुष्य के जीवन से जुड़े प्रसंगों पर खूब चर्चा है. युधिष्ठिर भीष्म से प्रश्न करते जाते और भीष्म उनका उत्तर देते जाते. इनमें व्रत-त्योहार, यज्ञ, शिक्षा से लेकर स्त्री-पुरुष के संबंधों पर भी लंबी चर्चा है. युधिष्ठिर ने भीष्म से पूछा कि सहवास के दौरान स्त्री-पुरुष में से मिलन का सुख किसे ज्यादा होता है.
युधिष्ठिर ने भीष्म से पूछा- मेरे मन में बरसों से एक प्रश्न है जिसका उत्तर आज तक मुझे नहीं मिला. स्त्री या पुरुष दोनों में से मिलन का सुख किसे अधिक होता है. यौनक्रियाओं के समय ज़्यादा आनंद कौन प्राप्त करता है?
भीष्म बोले- युधिष्ठिर तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर भंगस्वाना और सकरा की कथा में है. मिलन का सुख किसे ज्यादा होता है उसे समझने के लिए यह कथा सुनो. बहुत समय पहले भंगस्वाना नाम का एक राजा था. वह बड़ा वीर और नामी था लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी. किसी ने सुझाव दिया कि ‘अग्नीष्टुता’ हवन कराएं तो इससे उनका वंश बढेगा. संतान की चाह में राजा ने हवन कराने का फैसला कर लिया.
अग्नीष्टुता’ हवन में हविष ग्रहण करने के लिए केवल अग्निदेव का ही आह्वान किया जाता है. इसलिए उसमें केवल अग्नि को बुलाया गया. उन्हीं का आदर हुआ. इससे देवराज इन्द्र को अपना अपमान महसूस हुआ और वह क्रोधित हो गए. इंद्र अपना गुस्सा निकालने और भंगस्वना को सबक सिखाने का मौका ढूँढने लगे.
वे इस इंतज़ार में थे कि राजा भंगस्वाना से कोई गलती हो और वह उसे दंड दें. पर भंगस्वाना इन्द्र को कोई मौका ही नहीं दे रहा था. इन्द्र का गुस्सा दिनोंदिन और बढ़ता जा रहा था. इंद्र ताक में थे.
एक बार की बात है. राजा भंगस्वाना शिकार पर निकला. इन्द्र ने सही मौका ताड़कर अपने अपमान का बदला लेने का फैसला ले लिया. राजा शिकार का पीछा करता हुआ घने वन में पहुंच गया. आखिरकार उसे शिकार तो नहीं मिला पर वह गहन वन में पहुंच गया. राजा अपने साथियों से बिछुड़ चुका था.
उसे बहुत जोरों की प्यास लगी. राजा जैसे ही सरोवर में पानी पीने को उतरा इंद्र के प्रभाव से वह सम्मोहित हो गया. सम्मोहित होकर राजा अपनी सुध खो बैठा. राजा भंगस्वाना जंगल में इधर-उधर भटकने लगा. भूख-प्यास ने उसे व्याकुल कर दिया था.
भूख-प्यास से बेहाल राजा को अचानक छोटी सी नदी दिखाई दी. राजा की जान में जान आयी. उसे लगा कि नदी तट पर किसी वृक्ष के फल खाकर और पानी पीकर वह अपनी रक्षा करेगा. वह उस नदी की तरफ लपका. पहले हाथ मुंह धोये, घोड़े को पानी पिलाया, फिर खुद पिया.
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राजा ने सोचा कि क्यों न नहा भी लें. जैसे ही वह नदी के अंदर घुसा, उसने देखा कि वह बदल रहा है. इंद्र के प्रयासों से राजा धीरे-धीरे एक स्त्री में बदल गया. भंगस्वाना ने नदी के जल में अपनी छवि देखी तो सन्न रह गया. वह शर्म से गड़ गया. वह जंगल में ही ज़ोर ज़ोर से रोने लगा. उसके विलाप के स्वर से वन गूंज रहा था. उसे समझ नहीं आ रहा था की आखिर यह क्या बला है. मेरे साथ यह क्या हुआ.
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