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परंतु प्रत्येक छठे दिन उनसे उच्चारण में एक भूल हो जाती है. तुम वहां जाओ और उन ब्राह्मणों को विश्वदेव के वे दो सूक्त बता दो जिसमें चूक हो रही है. यज्ञ समाप्त होने पर जब वे ब्राह्मण स्वर्ग जाने लगेंगो तो यज्ञ का बचा हुआ सारा धन तुम्हें दे देंगे.
पिता के आदेश से नभग यज्ञ में पहुंचे और सूक्त बताकर यज्ञ को निर्विघ्न संपन्न करा दिया. यज्ञ के बाद ब्राह्मणों ने बचा हुआ सारा धन नभग को सौंप दिया. नभग यज्ञशेष धन को इकत्रित करने लगे.
भगवान शिव ने कृष्णदर्शन का रूप धरा और वहां प्रकट होकर कहा- नभग यह धन क्यों उठा रहे हो, यह तो मेरा धन है. नभग ने कहा- ऋषियों ने यज्ञशेष मुझे दिया है, तुम कैसे रोक सकते हो?
कृष्णदर्शन ने कहा- यज्ञशेष किसका है यह निर्णय मैं तुम्हारे पिता पर छोड़ता हूं. उनके पास जाकर पूछो और वह जो निर्णय दें उसे ठीक-ठीक आकर मुझे बताओ. उनका निर्णय मुझे स्वीकार है.
नभग पिता के पाए गए और कृष्णदर्शन की बात कही. मनु बोले- वह तो साक्षात भगवान शिव हैं. यूं तो संसार की सारी संपत्ति उनकी ही है लेकिन यज्ञशेष पर केवल भगवान रूद्र का अधिकार है.
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