अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
श्राद्धदेव मनु के सबसे छोटे पुत्र का नाम था नभग. मनुपुत्र नभग को स्वयं भगवान शिव ने दीक्षा प्रदान की थी. नभग का अध्य्यन आदि में ही ध्यान ज्यादा रहा.
शिक्षा पूरी करके जब नभग घर लौटे तो पता चला कि इच्छवाकु आदि भाइयों ने पिता के राज्य का आपस में बंटवारा कर लिया है. वे अपना-अपना भाग लेकर राजकाज में लग गए हैं.
नभग ने भाइयों से कहा कि मेरे लिए आपने तय किया है. मेरा भाग तय किए बिना यह बंटवारा धर्मविरुद्ध होगा. भाइयों ने कहा कि जब संपत्ति का बंटवारा हो रहा था, तब हम तुम्हारा भाग निकालना भूल गए थे.
सोच-विचारकर नभग के भाई बोले- अब हम पिताजी को ही तुम्हारे हिस्से में देते हैं. नभग को आश्चर्य हुआ. उन्होंने पिता को सारी बात बताई तो वह बोले- तुम्हारे भाइयों ने तुम्हें ठगने के लिए यह बात कही है.
नभग पिता को ही अपने हिस्से की संपत्ति मानकर उनकी सेवा करने लगे. आय का स्रोत न होने से समय कष्टमय बीत रहा था. एक दिन मनु ने कहा- इस समय अंगिरस गोत्र के ब्राह्मण बड़ा यज्ञ कर रहे हैं.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.