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ॠषि विश्वामित्र के घोर तप से इन्द्र को भय हुआ कि कहीं विश्वामित्र इंद्रासन ही न प्राप्त कर लें. इंद्र उनका तप भंग करने के लिए उपाय सोचने लगे. स्वर्ग की अप्सरा मेनका को इंद्र ने समझा-बुझाकर विश्वामित्र का तप भंग करने भेजा.

मेनका ने कामदेव और वसंत की सहायता से आखिरकार विश्वामित्र को रिझा ही लिया. विश्वामित्र की समाधि भंग हुई और वह मेनका के साथ गृहस्थ की तरह रहने लगे. मेनका ने समय आने पर सुन्दर कन्या को जन्म दिया.

स्वर्ग की अप्सरा को पृथ्वी पर क्यों मन लगता. वह तो तप भंग के लिए आई थी जो पूरा हुआ तो फिर उसका धरती पर रहने का कोई प्रयोजन बचा ही नहीं था.

विश्वामित्र तप के लिए कहीं और चले गए तो मेनका ने एक रात कन्या को विश्वामित्र के आश्रम में छोड़ा और चली गई. अकेली कन्या की शंकुल पक्षियों ने रक्षा की.

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