नवरात्रि में श्रीदुर्गासप्तशती के तेरह अध्यायों के सात सौ श्लोक का पाठ नहीं कर पाते तो परेशान न हों. सप्त श्लोकी दुर्गा स्तोत्र के सात श्लोकों में मिल जाता है पूरे दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल. सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र के बारे में जानते हैं.
धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-
[sc:fb]
नवरात्रि में जो लोग मां की विशेष पूजा-उपासना करते हैं उनपर मां की बड़ी कृपा होती है. नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखना और श्रीदुर्गासप्तशती के संपूर्ण 13 अध्यायों के पाठ का बड़ा माहात्म्य बताया गया है. शास्त्रों में कवच, अर्गला और कीलक के पाठ के उपरांत श्रीदुर्गासप्तशती के सस्वर पाठ से समस्त अमंगलों का नाश होता है. माता की कृपा से सुख-शातिं, यश-कीर्ति, धन-धान्य, आरोग्य, बल-बुद्धि की प्राप्ति होती है.
भक्तों द्वारा श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ माता को प्रिय है. परंतु सप्तशती में सात सौ श्लोक हैं जो तेरह अध्यायों में आते हैं. माताभक्तों के मन में इच्छा रहती है कि वे कम से कम नवरात्र में तो श्रीदुर्गासप्तशती का नियमित पाठ कर ही लें परंतु सात सौ श्लोकों का पाठ करने में समय लगता है.
बहुत से लोग इस डर से पाठ आरंभ ही नहीं करते कि कहीं वे प्रतिदिन न कर पाएं तो दोष लगेगा. नौकरी आदि की व्यस्तता या सफर में होने के कारण समय की दिक्कत हो जाती है. ऐसे भक्तों को बताना चाहेंगे कि उन्हें परेशान होने की आवश्यकता ही नहीं.
क्या आपको पता है इस नवरात्रि पांच लाख से ज्यादा लोग माता की पूजा से संबंधित हर जानकारी, हर कथा के लिए प्रभु शरणम् पर भरोसा जताने वाले हैं. नवरात्रि पर्व को विशेष बनाने की तैयारी की है प्रभु शरणम् ने.आप इसे क्यों गंवा रहे हैं जबकि यह फ्री है. लिंक क्लिक कर आप भी जुड़ें और खास बनाएं इस नवरात्रि को.
मोबाइल में लिंक काम न करे तो प्लेस्टोर में सर्च करें-PRABHU SHARNAM
इसका बहुत सरल विकल्प श्रीदुर्गासप्तशती में ही बताया गया है. सिर्फ 10 मिनट की पूजा में पूरी सप्तशती के पाठ का फल ले सकते हैं. सात सौ श्लोकों के में से सात श्लोक ऐसे हैं जो माता को सर्वाधिक प्रिय हैं और उनके पाठ से सप्तशती का पाठ मान लिया जाता है.
ऋषियों ने संपूर्ण सप्तशती में से सिर्फ सात श्लोक निकालकर सप्त श्लोकी दुर्गा स्तोत्र की रचना की. इन सात श्लोकों में श्रीदुर्गासप्तशती के 700 श्लोकों के फल के माहात्म्य को संकलित किया गया है. इसके पाठ को सप्तशती के संपूर्ण पाठ के समान माना जाता है. इसका पाठ करने की छोटी सी विधि है. उस विधि का पालन करते हुए यदि सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ किया जाए तो पाठ पूर्ण माना जाता है.
पाठ कैसे करें आरंभः
-सप्तश्लोकी का का आरंभ करने से पूर्व श्रीदुर्गासप्तशती ग्रंथ का पंचोपचार विधि से पूजन करना चाहिए.
-पंचोपचार अर्थात जल, धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, कुमकुम, सुगंध, नैवैद्य आदि उपलब्ध वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए. उनके लिए लिए मंत्र हैं जो आपको प्रभु शरणम् एप्पस में मिल जाएंगे.
– सप्तश्लोकी दुर्गा भी वहां उपलब्ध है.
– यदि आप सभी मंत्रों के उच्चारण आदि में समर्थ नहीं हैं तो कम से कम नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए ग्रंथ को धूप-दीप दिखाएं.
– फिर जल छिड़कें, पुष्प अर्पित करें, अक्षत आदि जो भी उपलब्ध सामग्रियां हैं समर्पित करें.
[irp posts=”5588″ name=”सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ के समान फलदायी है सिद्ध कुंजिकास्तोत्र- माहात्म्य व जप विधि”]
मंत्रः
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम्॥
इसके बाद ग्रंथ को पूरे श्रद्धा और आदरभाव के साथ प्रणाम करें और उनसे हाथ जोड़कर पाठ की अनुमति लें. अब आप सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ आरंभ कर सकते हैं.
[irp posts=”5597″ name=”कुँआरी क्यों हैं माता वैष्णो देवी?”]
।।अथ श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा।।
शिव उवाच :
देवि त्वं भक्त सुलभे सर्वकार्य विधायिनी ।
कलौ हि कार्य सिद्धयर्थम् उपायं ब्रूहि यत्नतः ॥
देव्युवाच :
श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्ट साधनम् ।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बा स्तुतिः प्रकाश्यते ॥
विनियोग :
ॐ अस्य श्रीदुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मन्त्रस्य नारायण ॠषिः, अनुष्टुप
छन्दः, श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वत्यो देवताः, श्री दुर्गाप्रीत्यर्थं
सप्तश्लोकी दुर्गापाठे विनियोगः ।
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा ।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ।।1।।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता ।।2।।
सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते ॥3॥
शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते ॥4॥
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते ॥5॥
[irp posts=”4175″ name=”मां दुर्गा की कृपा से असाध्य रोग भी हुए दूर: नवरात्र कथा”]
रोगानशेषानपंहसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥
सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि ।
एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम् ॥7॥
॥ इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा सम्पूर्ण ॥
श्रीदुर्गासप्तश्लोकी पाठ का हिंदी रूपांतरण
भगवान शिव ने देवी से कहा-
हे देवी! आप ही सुलभ सहाय हो. समस्त सिद्धियों प्रदान कर मनोकामना पूरी करने वाली हो. कलियुग में भी भक्तों के कार्यों को, सिद्ध करने वाला कोई उपाय कहिए.
देवी बोलीं-
हे देवों के देव. कलियुग में सभी मनोकामनाएं सिद्ध होने वाला उपाय आपसे कहती हूं. आपसे अत्यधिक स्नेह के कारण मैं सर्व कामना सिद्ध करने वाली “अम्बा-स्तुति” बताती हूं.
इस सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र के रचयिता श्रीनारायण ऋषि हैं. इसमें अनुष्टुप छंद हैं. श्रीमहाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती देवता हैं. श्री दुर्गा माता की प्रसन्नता के लिए सप्तश्लोकी दुर्गा नामक स्तोत्र के पाठ का विनियोग करता/करती हूं.
ज्ञानी ध्यानी पर करती माया, मोह में डालती हैं महामाया ।
भय हर लेतीं कर मंगल छाया, जिसने तुम्हें ध्याया सर्व सुख पाया।।
स्वस्थ पुरुष जो तुमको ध्याते, परम पुनीत बुद्धि वे पाते
दुःख दारिद्र भय को हर लेती तुमसा कौन दयालु है माता
तुम नारायणी तुम मंगलकर्ता, तुम्हीं शिवा तुम्हीं कल्याणी भर्ता
सिद्धि-बुद्धि देती मां दुखहर्ता, शरणागत भक्त की कर्ता-धर्ता
[irp posts=”4078″ name=”ब्रह्माजी के वरदान के कवच में छुपा असुर, भगवती ने दुर्गा स्वरूप धरकर किया संहारः मां दुर्गा अवतार की कथा”]
तीन नेत्रों वाली माँ गौरी, तुमको बारंबार प्रणाम
सर्वस्वरूपा हे माँ सर्वेश्वरी, हर लो सब क्रोध अरु काम
दीन की रक्षक नारायणी, देती सबके भय को मार
सबकी पीड़ा हरने वाली, मां जय-जय हो बारम्बार
सर्वस्वरूपा माँ सर्वेश्वरी, सर्वशक्ति संपन्न
रक्षा करो हे माता हमारी कष्ट न हों उत्पन्न
हो प्रसन्न जब माता रानी, रोगों का हो जाता नाश
कुपित रूप करता है माँ, कामनाओं का ह्रास
तेरी शरण मिले माँ जिनको, मिट जाते उनके सब कष्ट
देते हैं वे शरण सभी को, होते नहीं कभी पथभ्रष्ट
तीनों लोकों की हे मैया, कर दो सब बाधा शांत
हे माते! शत्रु का नाश करो अब, हम न हों भयाक्रांत.
।। हिंदी पाठ संपूर्ण।।
क्यों लाखों लोग प्रभु शरणम् को बताते हैं सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प. परखें ,फिर निर्णय करें.
मोबाइल में लिंक काम न करे तो प्लेस्टोर में सर्च करें-PRABHU SHARNAM
ध्यान देंः भक्तजनों को प्रयास करना चाहिए कि वे संस्कृत वाले श्लोकों का ही उच्चारण करें.
उनका विच्छेद करके बहुत सरल कर दिया गया है. साथ ही साथ श्रीदुर्गासप्तशती पुस्तक की पूजा के बाद ही उस पुस्तक से सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ आरंभ करें.
इंटरनेट पर दिए गए इस पोस्ट का प्रयोग अभ्यास के लिए ही करें. पूजा तो पुस्तक से ही करनी चाहिए. सारी जानकारियां ज्यादा सरलता से देखने के लिए एप्प डाउनलोड कर लें.
सप्तश्लोकी दुर्गा या मां दुर्गा की किसी भी आराधना-उपासना के बाद माता का क्षमा प्रार्थना स्तोत्र अवश्य पढ़ लें और उसके बाद माता से दंडवत होकर क्षमा प्रार्थना अवश्य कर लें.
क्षमा प्रार्थना स्तोत्र प्रभु शरणम् ऐप्पस में भी है. यहां भी दिया जा रहा है.
।। अथ अपराधक्षमापणस्तोत्रम् ।।
ॐ अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि।।१।।
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।२।।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।।३।।
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् ।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः ।। ४।।
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके ।
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु ।। ५।।
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रोन्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् ।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि ।। ६।।
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे ।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि ।। ७।।
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसात्सुरेश्वरि।।८।।
।। इति अपराधक्षमापणस्तोत्रं समाप्तम्।।
[irp posts=”7455″ name=”श्री दुर्गा सप्तशती पाठ की सही विधि”]
अपराध क्षमा प्रार्थऩा स्तोत्र का हिंदी रूपांतरण देखने के लिए प्रभु शरणम् ऐप्पस डाउनलोड कर लें.
क्यों लाखों लोग प्रभु शरणम् को बताते हैं सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प. परखें ,फिर निर्णय करें.
मोबाइल में लिंक काम न करे तो प्लेस्टोर में सर्च करें-PRABHU SHARNAM
[irp posts=”6670″ name=”ऐसे उतारें नजर, नजर दोष से बचाते हैं ये सरल उपाय”]
धार्मिक अभियान प्रभु शरणम् के बारे में दो शब्दः
सनातन धर्म के गूढ़ रहस्य, हिंदूग्रथों की महिमा कथाओं ,उन कथाओं के पीछे के ज्ञान-विज्ञान से हर हिंदू को परिचित कराने के लिए प्रभु शरणम् मिशन कृतसंकल्प है. देव डराते नहीं. धर्म डरने की चीज नहीं हृदय से ग्रहण करने के लिए है. तकनीक से सहारे सनातन धर्म के ज्ञान के देश-विदेश के हर कोने में प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रभु शरणम् मिशन की शुरुआत की गई थी. इससे देश-दुनिया के कई लाख लोग जुड़े और लाभ उठा रहे हैं. आप स्वयं परखकर देखें. आइए साथ-साथ चलें; प्रभु शरणम्!
दुर्गा सप्तशती संपूर्ण प्रभु शरणम् ऐप्प में उपलब्ध है. वेबसाइट पर भी पढ़ सकते हैं. नवरात्रि पूजन के लिए श्री दुर्गा सप्तशती ग्रंथ का ही प्रयोग करें. यहां पढ़ें सिर्फ जानकारी के लिए. नीचे लिंक से वेबसाइट पर मिल जाएगा. ऐप्प में भी मां दुर्गा मंत्र सेक्शन में पूरी सप्तशती उपलब्ध है.
[irp posts=”1251″ name=”श्रीदुर्गा सप्तशती भाषा प्रथम अध्याय में मधु-कैटम की उत्पत्ति और वध की कथा”]
इस लाइऩ के नीचे फेसबुक पेज का लिंक है. इसे लाइक कर लें ताकि आपको पोस्ट मिलती रहे. धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-
हम ऐसी कहानियां देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page
धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group