Radha Murli
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यह कथा किसी पुराण या अन्य धार्मिक पुस्तक से नहीं है. भक्ति कथाएं श्रुतियां होती हैं जिसमें भक्त की उसके आराध्य के प्रति भावना उमड़ती है. पढ़िए राधाजी की भक्तिकथा.

एक संत जब किसी नगर में आए तो उनके पास एक व्यक्ति आया और बोला- स्वामी जी! मेरा बेटा न तो भगवान को मानता है, न ही पूजा-पाठ करता है. आप प्रभुनाम की महिमा समझाइए.

स्वामी जी ने कहा – ठीक है, मैं तुम्हारे घर आऊँगा. एक दिन वे उसके घर गए और उसके बेटे से बोले -बेटा एक बार कहो- राधा. लड़का आदत के अनुसार बोला- मै क्यों कहूँ.

स्वामीजी बार-बार कहते रहे आखिरकार एक बार उसने कह दिया कि मैं ‘राधा’ क्यों कहूँ! स्वामीजी प्रसन्न हो गए. उन्होंने कहा- जब तुम मरो तो मरने पर यमराज से पूंछना कि एक बार राधा नाम लेने की क्या महिमा है?

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