संतान प्राप्ति, जन्मी संतान के सुखद जीवन के लिए पुत्रदा एकादशी या पवित्रा एकादशी करनी चाहिए. घर में लडडू गोपाल विराजें हैं तो पुत्रदा एकादशी को जरूर करें उनकी विधिवत पूजा. 22 अगस्त, 2018 को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
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संतान प्राप्ति में जिन्हें बाधा होती है, या संतान जन्म लेने के उपरांत मर जाती है. उनके लिए शास्त्रों में जो उपाय कहे गए हैं उनमें से बहुत महत्वपूर्ण है पुत्रदा एकादशी व्रत. पुत्रदा एकादशी सिर्फ संतानहीनों को ही नहीं बल्कि संतानयुक्त दंपतियों को भी करना चाहिए. माता-पिता अपनी संतान के आरोग्य, विघ्न-बाधाओं के नाश एवं सुखद भविष्य की कामना से यह व्रत करते हैं. पुत्रदा एकादशी व्रत का शास्त्रों में बहुत माहात्म्य कहा गया है.
संतानहीन लोगों को तो खास तौर से इस व्रत को करके घर में या मंदिर में बैठकर संतान गोपाल मंत्र के अनुष्ठान का संकल्प लेना चाहिए. विधि-विधान से उस जप को पूर्ण करना चाहिए. यह व्रत निष्काम नहीं है. भगवान से कुछ पाने की लालसा है इसलिए पुत्रदा एकादशी तो पूरे विधि-विधान से ही होनी चाहिए. नियमों का पालन होना चाहिए.
पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार होती है. एक तो सावन शुक्लपक्ष की एकादशी को दूसरी पौष शुक्लपक्ष एकादशी को.
संतान गोपाल मंत्र का अनुष्ठान किस प्रकार करना चाहिए यह हमने विस्तार से प्रभु शरणम् ऐप्प में बताया था. यदि आपने उसे नहीं पढ़ा तो उसे प्रभु शरणम् में कल प्रकाशित किया जाएगा. संतान गोपाल यंत्र की स्थापना के लिए भी पुत्रदा एकादशी सबसे शुभ दिन माना गया है. यंत्र स्थापना की विधि भी हमने पहले बताई थी. इसीलिए तो बार-बार कहता हूं कि आप सब प्रभु शरणम् ऐप्प से से जुड़े रहें. वहां हम आपके काम की सारी बातें देते रहते हैं. उसमें पुत्रदा एकादशी को पुनः यह विधि दी जाएगी. यदि आपको आवश्यकता है तो इस लिंक से ऐप्प डाउनलोड कर लें-
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यदि यात्रा में होने या किसी अन्य कारणवश सावन की पुत्रदा एकादशी नहीं कर पा रहे तो भी कोई बात नहीं. पौष मास में भी पुत्रदा एकादशी पुनः आएगी. उसे अवश्य कर लीजिएगा. आप चाहें तो उस एकादशी का रिमांइडर आज ही प्रभु शरणम् ऐप्प में लगा सकते हैं. व्रत के एक दिन पहले आपको अलार्म से याद दिला दिया जाएगा. ऐप्प से जुड़ने के बहुत से फायदे हैं. तत्काल जुड़ जाएं ऊपर लिंक से.
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पुत्रदा एकादशी को क्या करना चाहिए?
विधि-विधान से एकादशी का व्रत रखना चाहिए.
यदि व्रत नहीं कर पा रहे तो माता-पिता में से कोई भी संतान गोपाल मंत्र के अऩुष्ठान का संकल्प ले सकता है. मंत्र बहुत सरल है.
निश्चित संख्या में मंत्र का जप कर लें और फिर व्रत कर लें.
जितना मंत्र जप किया है उसके दशांश से हवन करें. दशांश से हवन का अर्थ हुआ यदि आपने 108 बार जप किया है तो उसका दस प्रतिशत ग्यारह बार जप करते हुए हवन में हविष डालें. हाथ में हविष को लेकर मंत्र जपें फिर मंत्र पूरा होते ही अग्नि में दें. इसी तरह ग्यारह बार कर लें.
जिन लोगों ने घर में लडडू-गोपालजी को स्थापित किया है उन्हें विधि-विधान से गोपालजी की सेवा अवश्य करनी चाहिए.
गोपालजी को कोई विशेष मीठा भोग बनाकर अर्पित करें फिर उस भोग को बच्चों में बांट दें.
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पुत्रदा एकादशी के क्या लाभ हैं? इसका क्या माहात्म्य कहा गया है?
-कहा गया है कि जो पुत्रदा एकादशी के व्रत की कथा भर कहीं सुन लेते हैं उन्हें सुनने मात्र से ही वाजपेयी यज्ञ का फल प्राप्त होता है. इसलिए अगर कहीं विधि-विधान से पूजन आदि करके कथा कही जा रही हो वहां अवश्य चले जाना चाहिए. कथा सुन लेनी चाहिए.
-भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को कहा था यदि नि:संतान व्यक्ति यह व्रत पूर्ण विधि-विधान व श्रद्धा से करे तो उसे संतान प्राप्ति होती है.
-संतान प्राप्ति में आने वाली ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाता है पुत्रदा एकादशी व्रत.
-जिनकी संतान जन्म होने के बाद मर जाती है, लगातार विघ्न-बाधाओं से धिरी रहती है उन्हें पवित्रा एकादशी या पुत्रदा एकादशी व्रत विधि-विधान से करना चाहिए.
– पुत्रदा एकादशी का जीवनभर नियम से पालन करने वाले की वंश वृद्धि होती है. संताने उत्तम और कुल का मान बढ़ाने वाली होती हैं. ऐसा व्यक्ति समस्त सुख भोगकर परलोक में स्वर्ग का भागी होता है.
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