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बर्बरीक समझ गए कि यह कोई साधारण मानव नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मैं अपना वचन निभाते हुए आपकी प्रसन्नता के लिए शीश दान देता हूं. परंतु आप मुझे अपना वास्तविक परिचय दें.

श्री कृष्ण ने अपने असली रूप में आकर उन्हें दर्शन दिया. रातभर भजन पूजन कर प्रातः फाल्गुन शुक्ला द्वादशी को स्नान पूजा आदि करके श्रीबर्बरीकजी ने अपना शीश श्रीकृष्ण को अर्पित कर दिया.

भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे वरदान माँगने को कहा तो उन्होंने महाभारत युद्ध देखने की इच्छा प्रकट की. श्रीकृष्ण ने उस शीश को अमृत से सींचकर युद्ध अवलोकन के लिए एक ऊँचे स्थान पर स्थापित कर दिया.

भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि आपने युद्ध आरंभ से पहले ही मेरी प्रसन्नता के लिए सर्वोच्च दान दिया, इसलिए आप पूजनीय होंगे. कलियुग में आप मेरे ही प्रिय नाम “श्याम” के नाम से पूजे जाएंगे. आपकी पूजा मेरी पूजा होगी.

राजस्थान के सीकर जिले में खाटू स्थान में हारे के सहारे श्रीश्यामदेवजी का मंदिर है. स्कन्दपुराण की कथा
हारे के सहारे, मोर्वीनंदन श्रीश्याम बाबा की जय

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प्रभु शरणम्

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