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ब्राह्मण की शंका का समाधान करने के लिए वीर बर्बरीक ने उन्हें तीरों का चमत्कार दिखाने का निश्चय किया. उन्होंने ब्राह्मण वेशधारी श्रीकृष्ण से कहा कि आप एक घने पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो जाएं. मैं अपने एक तीर से उस पीपल के सभी पत्तों को बेध दूंगा.
श्रीकृष्ण ने एक पत्ता अपने पैरों तले दबा लिया. बर्बरीक ने देवी को नमन करके तीर चलाया. पेड़ के सभी पत्तों को छेदने के बाद तीर भगवान के पैरों के ऊपर मंडराने लगा.
श्रीकृष्ण ने पूछा कि यह तीर मेरे पांव पर क्यों मंडरा रहा है तो बर्बरीक ने कहा कि मैने तीर को आदेश दिया कि उसे पत्तों को बींधना है- किसी प्राणी को नहीं. एक पत्ता आपके पांव के नीचे दबा है. आप पांव हटा दें ताकि तीर अपना लक्ष्य भेद सके.
श्रीकृष्ण वीर बर्बरीक की इस शक्ति से हतप्रभ भी थे, प्रसन्न भी. श्रीकृष्ण ने उनसे कहा- हे वीर आपने अपनी वीरता का प्रमाण दे दिया. मैं स्वीकार करता हूं कि आपके समान वीर इस युद्धभूमि में दूसरा कोई नहीं है. अब आप महादानी होने का प्रमाण दें. आप समर भूमि की बलि हेतु अपना शीश दान में दे दो.
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