श्रीकृष्ण के सभी स्वरूप कल्याणकारी हैं. उनके चमत्कारिक स्वरूपों के दुर्लभ मन्त्रों, भागवत महापुराण व अन्य पुराणों में वर्णित कृष्ण लीलाएं, संपूर्ण गीता ज्ञान के लिए डाउनलोड करें “कृष्ण लीला” एंड्राइड एप्प.
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दैत्यगुरु शुक्राचार्य का एक शिष्य था. जिसका नाम मोहासुर था. अपने गुरू के आदेश से मोहासुर ने भगवान सूर्य की कठोर तपस्या करके उनके समान पराक्रम और तेज का वरदान मांगने को कहा.
गुरू के निर्देश पर मोहासुर ने कठिन असाध्य तपस्या की. भगवान सूर्य प्रसन्न हो गए तथा मोहासुर को सर्वत्र विजय का वरदान दे दिया. वरदान प्राप्तकर मोहासुर अपने गुरु के पास चला गया.
शुक्राचार्य ने मोहासुर को दैत्यराज घोषित कर दिया और उसका राज्याभिषेक कर दिया. मोहासुर ने अपने छल-पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार प्राप्त कर लिया. इसके बाद वह अपनी पत्नी मदिरा के साथ सुखपूर्वक रहने लगा और विजय अभियान जारी रखा.
समस्त देवी, देवता, ऋषि, मुनि, सब मोहासुर के भय से इधर-उधर छुप गए. वर्णाश्रम, धर्म, सत्कर्म, यज्ञ, तप आदि सब नष्ट हो गए. मोहासुर तीनों लोकों पर राज करने लगा.
दुखी और हारे हुए देवी, देवता, ऋषि, मुनि, सब भगवान सूर्य के पास गए तथा इस भयानक विपत्ति से निकलने का उपाय पूंछा. भगवान सूर्य ने सभी देवी देवताओं को श्रीगणेश का एकाक्षरी मंत्र दिया और श्री गणेश को प्रसन्न करने की प्रेरणा दी.
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