तांत्रिक के चक्कर में कैसे जीवन पर बन आती है, उसकी मिसाल है यह सत्यकथा है। तंत्र-मंत्र और तांत्रिक के फेर से दूर रहने में ही भला है। आँखें खोलती सत्यकथा।
पश्चिम बंगाल की ये घटना बिल्कुल वास्तविक है, बस पात्रों की पहचान बदल दी गई है। कहानी है एक मासूम लड़की की, जो एक महिला तांत्रिक के वशीकरण प्रयोग में आकर सबकुछ भुला बैठी। नौबत यहां तक पहुंच जाती है, कि वह तांत्रिक अपनी काली साधना के लिए इसे एक पिशाच को अर्पित करने की तैयारी कर लेती है। लेकिन तभी इस लड़की ने सच्चे दिल से माता काली की प्रार्थना की, जिससे उसकी रक्षा हुई।
इस वास्तविक घटना को कथा के रुप में विशेेष तौर पर प्रभु शरणम् के पाठकों के लिए लिखा गया है। इस कहानी में एक बड़ा संदेश है, कि कभी भी अनजान तांत्रिकों के चक्कर में न पड़ें। अन्यथा इस कहानी की नायिका जैसी दुर्दशा हो सकती है।
तांत्रिक पुजारिन के शिकंजे में
मुझे आज भी वह दिन याद है | मुझे बस उस दिन ऑफिस जाना था और उसके बाद मैं एक लंबी छुट्टी पर जाने वाली थी | मैने किसी को कुछ नही बताया था, सोचा था कि, सब दोस्तों और सहेलियों को एक सरप्राइज दूंगी। काफ़ी दिनो से वह लोग मेरे साथ मिलकर एक पार्टी का प्लान बना रहे थे लेकिन मेरे पास टाइम ही नही होता था। क्या करुं, मैं अब काम करने लगी थी और मेरे ज़्यादातर दोस्त अभी कॉलेज में ही थे।
खैर, आज सुबह उठने मे काफ़ी देर हो गई थी, इसके लिए मैं मौसम को ज़िम्मेदार ठहराउंगी, कल रात से ज़ोरदार बारिश हो रही थी और बिजली कड़क रही थी, इस लिए मैं जल्दी जल्दी नहा धो कर तैयार हो गई पर मुझे ड्राइयर से बाल सुखाने का मौका नही मिला, इसलिए मैने अपने अध गीले बालों का एक ढीला सा जूड़ा बनाया और एक अच्छी सी साड़ी और मैचिंग ब्लाऊज पहनकर अपना पर्स और एक छतरी लेकर निकल पड़ी ट्रेन पकड़ने|
स्टेशन के रास्ते मे फुटपाथ पर लगी खाने की दुकानो मे से ज़्यादातर अभी खुली ही नही थी। पर चाय की दुकानें खुल चुकी थीं। बरसात के मौसम मे गरम चाय की चुस्कियों का मज़ा ही कुछ और होता है। लेकिन मुझे थोड़ी हिचक महसूस हो रही थी | क्योंकि चाय की दुकानो मे खड़े मजदूर मुझे घूर रहे थे।
इसमें उनका भी क्या दोष? मेरी उम्र तो सिर्फ़ इक्कीस साल की थी। लोग बाग और दोस्तों के अनुसार मैं बेहद सुंदर हूं।
कुछ भी हो अभी चाय के लिए वक़्त भी नही था, अगर मैं चाय के लिए स्टेशन के स्टॉल मे भी रुकी तो मेरी 7.20 की ट्रेन छूट जाएगी | मैने घड़ी देखी और तेज़ कदमों से स्टेशन की ओर बढ़ने लगी |
चलते चलते अचानक मेरी नज़र एक बुज़ुर्ग औरत पर पड़ी वह कुछ उदास होकर एक बंद दुकान की सीढ़ियों पर बैठी हुई थी और आते जाते लोगों की ओर एक दबी हुई इच्छा ले कर देख रही थी, शक्ल और कपड़ों से तो वह कोई भिखारिन नहीं लग रही थी- शायद आसपास के किसी गाँव से आई होगी – जैसे ही उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, ना जाने क्यों मुझे उस पर दया आ गयी -मैने घड़ी देखी, ७:१५ हो चुके थे। पाँच मिनट में मैं दौड़ कर ट्रेन नही पकड़ सकती थी और अगली ट्रेन 07.45 की थी।|
मैने उस पास जा कर पूछा, “माता जी- क्या बात है, आप कुछ परेशान सी लग रही हैं?”
रास्ते से गुज़रता हुआ एक ट्रक ज़ोरदार हर्न बजा रहा था। शायद इसलिए शायद उस औरत को मेरी बात सुनाई नही दी, इसलिए मैने उसके पास जा कर झुक कर उससे दोबारा पूछा, “माता जी- क्या बात है, आप कुछ परेशान सी लग रही हैं?”
इतने मे ना जाने क्यों मेरा जूड़ा खुल गया और मेरे बाल खुलकर उस औरत के चेहरे के उपर बिखर गये। मेरा पल्लू भी सरक गया। जल्दबाजी में मैं पिन लगाना भूल गयी थी | मैनें जल्दी जल्दी अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और अपने बालों को समेट कर एक जूड़े में बाँधा और उनसे माफी माँगी | वह औरत मुस्कुरा कर बोली, “कोई बात नही बेटी, तू एक नारी है ..लंबे घने बाल औरत का गहना होता है”
मैं थोड़ा शर्मा गयी, “लेकिन आप कुछ परेशान सी लग रहीं हैं ..क्या बात है?”
“क्या बतायूं बेटी, मैं कल रात शहर आई थी दवाई लेने, पर मेरा सारा पैसा खो गया। तब से मैं यहीं बैठी हुई हूँ आज कल बिना टिकट ट्रेन मे जाना मुनासिब नही है, अगर पकड़ी गई तो?”
“कहाँ जाना है, आपको?”
“धूमिया”, फिर से अचानक बिजली कडकी और तेज़ बारिश शुरू हो गयी |
धूमिया की गाड़ी प्लॅटफॉर्म नंबर पाँच से चलती थी और मेरी लोकल ट्रेन प्लॅटफॉर्म नंबर दो से | अगर मैं इसकी मदद करूँ तो मेरी ७: ४५ की ट्रेन भी छूट जाएगी | लेकिन ना जाने क्यों उस औरत को सिर्फ़ टिकट के पैसे देकर उसको उसके हाल पर छोड़ने का मेरा मन नहीं मान रहा था |
“आप मेरे साथ आइए, मैं आपको टिकट दिला कर ट्रेन मे बैठा दूँगी| “लेकिन उससे पहले आप मेरे साथ चाय ज़रूर पीजिये…”, मैने कहा |
यह बात तय थी उस औरत ने रात भर कुछ भी नही खाया होगा| अगर दुकाने खुली होती, तो शायद मैं कुछ खाने का इंतज़ाम भी करती, लेकिन इस वक़्त सारी दुकानें बंद थी |
उस औरत को उठने मे शायद सहारे की ज़रूरत थी, जो की मैने उसको दिया और तब मैने गौर किया कि उस औरत के हाथों की उंगलियों में तरह तरह कीअंगूठियाँ थी, कलाई और गले में रुद्राक्ष की माला |
पता नही क्यों उस औरत ने मुझ से कहा, “बेटी, अभी तेरे बाल गीले हैं| अपने बालों को खुला छोड़ दे…”
ना जाने उस औरत की बातों मे क्या जादू था मैने उसे अपनी छतरी के नीचे लेने के बाद अपने बाल खोल दिए |
वह मेरे बालों को सहलाती हुई मेरे से लिपट कर चल रही थी और बार बार बोल रही थी, “तू एक बहुत अच्छी लड़की है… मुझे तेरे जैसी किसी लड़की की तलाश थी।”
तब मुझे थोड़ा शक हुआ, इस औरत के हाथों मे अंगूठियाँ, गले और कलाई में रुद्राक्ष की माला… कहीं यह जादू टोने वाली तो नही है?
[irp posts=”6604″ name=”आप पर तंत्र प्रयोग या तांत्रिक क्रिया तो नहीं हुई?”]
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.