आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
[sc:mbo]
पिछली कथा से आगे…तीसरा भाग
भगवान शिव ने श्रीकृष्ण को बताया कि आप मुझपर जृंभास्त्र का प्रयोग करें. इसका मान रखने के लिए मुझे निद्रा घेर लेगी. इस तरह आप मुझे युद्ध में निष्क्रिय कर अपना मनोरथ पूरा कर सकते हैं.
भगवान श्रीकृष्ण ने महादेव की स्तुति की और उनके ही निर्देश पर भोलेनाथ पर जृंभास्त्र का प्रयोग किया. भोलेनाथ निद्रा से परे हैं किंतु हरिइच्छा में बाधक नहीं बनते इसलिए वह निद्रा में चले गए.
शिवजी के युद्धभूमि में शांत हो जाने के बाद श्रीकृष्ण पुनः बाणासुर पर टूट पड़े. बाणासुर भी अति क्रोध में आकर उनपर टूट पड़ा. अंत में श्रीकृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र निकाला और बाणासुर की भुजाएं काटनी प्रारंभ कर दी.
एक एक करके उन्होंने बाणासुर की चार भुजाएं छोड़कर सारी भुजाएं काट दी. उन्होंने क्रोध में भरकर बाणासुर को मारने की ठान ली. वह बाणासुर का वध करने ही जा रहे थे कि पार्वतीजी स्वयं युद्धभूमि में आ गईं और उसके प्राण न लेने का अनुरोध किया.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.