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भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन में एकबार मिट्टी खाई थी. पूर्णावतार भगवान कोई भी कार्य ऐसे नहीं करते. उसके पीछे कारण होते हैं. परमेश्वर कन्हैया ने मिट्टी खाई. इस लीला के पीछे भी कल्याण के कई कारण थे. अनंत लीलाएं हो सकती हैं फिर भी समझते हैं प्रभु की 12 लीलाएं जिसके कारण उन्होंने मिट्टी खाई होगी.
जन्मस्थली नन्दभवन से पूर्व दिशा में ज्यादा से ज्यादा एक मील दूर ब्रह्माण्ड घाट है. यहीं पर एक दिन बलराम और दूसरे कई ग्वालबाल श्रीकृष्ण के साथ खेल रहे थे. अचानक श्रीदामा ने हल्ला मचा दिया- कन्हैया ने माटी खाली, मिट्टी मुंह में रख ली है.
जो भी पूछता कन्हैया बस नकार में गरदन हिला देते कि माटी नहीं खाई मैंने. एक सखा बोला- चोरी का माखन बहुत खाता है. पेट बहुत चिकना हो गया है. उसे साफ करने के लिये खाई होगी माटी.
भगवान मां यशोदा के सामने पेश हुए. यशोदा ने श्रीकृष्ण का हाथ पकड़ लिया. श्रीकृष्ण की आंखें डर के मारे नाच रहीं थीं. यशोदा ने डपटकर कहा— तू बहुत ढीठ हो गया है. छिपकर मिट्टी क्यों खायी ?
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