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समुद्र मंथन में अद्भुत शक्तियों वाली पांच प्रकार की गाएं निकलीं- नंदा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला और बहुला. इन गायों को कामधेनु कहा गया. मंथन से निकले विष को महादेव ने पीकर देवों और असुरों दोनों को संकट से बचाया था.
इसलिए महादेव को प्रसन्न करने के लिए देवों और असुरों ने सहमति से शिवजी को कामधेनु गायों का अधिकार सौंपा जिसे महादेव ने ऋषियों को दान कर दी.
महर्षि जमदग्नि को नंदा, भरद्वाज को सुभद्रा, वशिष्ठ को सुरभि, असित को सुशीला और गौतम ऋषि को बहुला गाय मिलीं. इन ऋषियों ने अपने आश्रम में गायों का चमत्कार देखा तो विस्मित रह गए.
परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि ने तो नंदा को अपनी माता का दर्जा दिया. देवों को विस्मय हुआ. उन्होंने ऋषि से कहा कि अगर यह आपकी माता हैं तो समस्त देवों को अपने गोद में स्थान देकर दिखाएं.
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