हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
तुम शरणागत हो इसलिए क्षमा करता हूं. मैं तुमसे प्रसन्न हूं कोई वरदान मांग लो. क्रौंच आदत से मजबूर था. गणेशजी से प्राणदान मिलते ही फिर से उसमें अहंकार जाग गया.
वह गणेशजी से बोला, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, लेकिन यदि आप मुझसे कोई इच्छा रखते हों तो कहें मैं आपकी इच्छा पूरी कर दूंगा.
मूषक की गर्वभरी वाणी सुनकर गणेशजी मुस्कुराए और कहा- यदि तुम्हारा वचन सत्य है तो तुम मेरा वाहन बन जाओ. मूषक ने बिना देरी किए ‘तथास्तु’ कह दिया.
गणेशजी उस पर सवार हुए. गजानन के भार से दबकर उसके प्राण संकट में आ गए. उसने गणेशजी से अपना भार कम करके वहन करने योग्य बनाने की विनती की.
इस तरह मूषक का गर्व चूरकर गणेशजी ने उसे अपना वाहन बना लिया. यही कारण है कि आज भी लोग अपने घरों में चूहों के उत्पात मचाने पर भगवान गणेश को याद करते हैं. (गणेश पुराण कथा)
संपादनः राजन प्रकाश
अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
ये भी पढ़ें-
यात्रा में शकुन एवं अपशकुन का विचार- प्रचलित ज्योतिषीय मान्यता
हर तिल कुछ कहता है
ये है वशीकरण का अचूक मंत्र: जिसको चाहें कर ले वश में
पार्वतीजी का शिवजी से प्रश्नः करोड़ों करते हैं गंगास्नान, फिर स्वर्ग में क्यों नहीं मिलता सबको स्थान?
हम ऐसी कथाएँ देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page
यह बहुत ही रोचक कहानी था …..!!! सच मेँ पढके मजा आ गया …..!!!!