प्रभु शरणं के पोस्ट की सूचना WhatsApp से चाहते हैं तो अपने मोबाइल में हमारा नंबर 9871507036 Prabhu Sharnam के नाम से save कर लें। फिर SEND लिखकर हमें उस नंबर पर whatsapp कर दें।

जल्दी ही आपको हर पोस्ट की सूचना whatsapp से मिलने लगेगी।
[sc:fb]

इंद्र ने एक बार घमंड में भरकर ऐसा सभागार बनवाने का निर्णय लिया जैसा कभी किसी ने न बनवाया हो. तुरंत देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा को काम में लगा दिया गया.

सभागार बनने लगा. विश्वकर्मा काम पूरा कर इंद्र को निरीक्षण के लिए बुलाते तो इंद्र कुछ न कुछ मीनमेख निकाल देते और फिर नए सिरे से काम करने का आदेश दे देते.

इस कारण विश्वकर्मा का काम लगातार सौ साल तक चला लेकिन भवन पूरा ही न हो सका.

भगवान विश्वकर्मा को इन सौ सालों से एक भी छुट्टी नहीं मिल सकी. विश्वकर्माजी परेशान होकर ब्रह्माजी के पास पहुंचे और परेशानी बताई. ब्रह्माजी इंद्र के इस आचरण से चिंतित और दुखी हुए.

विचार करने लगे कि क्या किया जाए. फिर उन्होंने विश्वकर्माजी से सका- पुत्र चलो श्रीहरि के पास चलते हैं. उनसे ही कोई निदान निकालने को कहते हैं जिससे इंद्र की बुद्धि सुधरे.

ब्रह्माजी और विश्वकर्माजी क्षीर सागर पहुंचे.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here