bhimashankar jyotirling

पुणे से लगभग 100 किलोमीटर दूर सह्याद्रि की पहाड़ी पर श्री भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है. इसे भीमाशंकर भी कहते हैं. इस ज्योतिर्लिंग की शिवपुराण में यह कथा वर्णित है

प्राचीन काल में भीम नामक एक महाप्रतापी राक्षस था. वह कामरूप प्रदेश में अपनी मां कर्कटी के साथ रहता था. वह रावण के छोटे भाई कुंभकर्ण के वीर्य से पैदा हुआ था लेकिन उसने अपने पिता को कभी देखा न था.

भीम ने अपनी माता से पिता और कुल के बारे में पूछा तो कर्कटी ने उसे अपने जीवन की कथा सुनाई. कर्कटी असुरवीर कर्कट और पुष्कषी की पुत्री थी. उसका विवाह विराध नामक असुर से हुआ.

वास्तव में विराध एक गंधर्व था जो शापित होकर असुर योनि में आया था. श्रीराम को वनवास मिला तो वह माता सीता और लक्ष्मणजी के साथ दंडकारण्य पहुंचे थे. वहां उन्होंने विराध का वधकर उसे मुक्ति दी थी.

विराध के वध के बाद कर्कटी अपने पिता के पास रहने लगी. एक दिन कर्कटी के माता-पिता आहार की खोज में निकले. उन्होंने अगस्त्य मुनि के शिष्य परम तपस्वी सुतीक्ष्ण मुनि को आहार बनाना चाहा.

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