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तीन व्यक्ति एक सिद्ध गुरु से दीक्षा प्राप्तकर वापस लौट रहे थे. गुरुजी ने उन्हें कहा था कि आध्यात्मिक ज्ञान के साथ- साथ व्यवहारिक ज्ञान भी हो तो व्यक्ति अवश्य सफल होता है.
तीनों सभी ग्रंथों पर चर्चा करते आगे बढ़ते जा रहे थे. कुछ समय बाद उन्हें एहसास हुआ कि अब थोड़ा विश्राम करना चाहिए और रात गुजार कर ही आगे बढ़ना चाहिए.
वे स्थान पर रूक गए. खाने की पोटली खोली पर दुर्भाग्यवश उसमे एक ही रोटी बची थी. तीनों ने सोचा एख रोटी को तीन हिस्से में बांटकर खाने से किसी की भूख तो नहीं मिटेगी.
अच्छा हो कि तीनों में से कोई एक ही इसे खा ले. पर वह एक व्यक्ति कौन हो ये कैसे पता चले? चूँकि वे आध्यात्मिक अनुभव कर लौट रहे थे इसलिए तीनों ने तय किया कि इसका निर्णय भगवान पर छोड़ देंगे.
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Jai shiv shambu jai bhole nath
सच बात . समाज में संतोने प्रबोधन काही कार्य किया है ढोंगी पंखण्डियों से बचाव करने के लिये। जिसकी आज भी जरुरत है।