October 8, 2025

आध्यात्म व्यवहारिक विवेक के द्वार खोलता है, ढोंग का आवरण नहीं बनताः प्रेरक कथा

shiv-god
अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
तीन व्यक्ति एक सिद्ध गुरु से दीक्षा प्राप्तकर वापस लौट रहे थे. गुरुजी ने उन्हें कहा था कि आध्यात्मिक ज्ञान के साथ- साथ व्यवहारिक ज्ञान भी हो तो व्यक्ति अवश्य सफल होता है.

तीनों सभी ग्रंथों पर चर्चा करते आगे बढ़ते जा रहे थे. कुछ समय बाद उन्हें एहसास हुआ कि अब थोड़ा विश्राम करना चाहिए और रात गुजार कर ही आगे बढ़ना चाहिए.

वे स्थान पर रूक गए. खाने की पोटली खोली पर दुर्भाग्यवश उसमे एक ही रोटी बची थी. तीनों ने सोचा एख रोटी को तीन हिस्से में बांटकर खाने से किसी की भूख तो नहीं मिटेगी.

अच्छा हो कि तीनों में से कोई एक ही इसे खा ले. पर वह एक व्यक्ति कौन हो ये कैसे पता चले? चूँकि वे आध्यात्मिक अनुभव कर लौट रहे थे इसलिए तीनों ने तय किया कि इसका निर्णय भगवान पर छोड़ देंगे.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

Share: