बात प्राचीन महाभारत काल की है। महाभारत के युद्ध में, जो कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ, जिसमें अठारह अक्षौहणी सेना मारी गई, इस युद्ध के समापन और सभी मृतकों को तिलांजलि देने के बाद पांडवों सहित श्री कृष्ण पितामह भीष्म से आशीर्वाद लेकर हस्तिनापुर को वापिस हुए।
तब श्रीकृष्ण को रोक कर पितामाह ने श्रीकृष्ण से पूछ ही लिया, “मधुसूदन, मेरे कौन से कर्म का फल है जो मैं शरशैया पर पड़ा हुआ हूँ?” यह बात सुनकर मधुसूदन मुस्कराये और पितामह भीष्म से पूछा, ‘पितामह, आपको कुछ पूर्व जन्मों का ज्ञान है?” इस पर पितामह ने कहा, ‘हाँ”। श्रीकृष्ण मुझे अपने सौ पूर्व जन्मों का ज्ञान है कि मैंने किसी व्यक्ति का कभी अहित नहीं किया |
इस पर श्रीकृष्ण मुस्कराये और बोले पितामह आपने ठीक कहा कि आपने कभी किसी को कष्ट नहीं दिया, लेकिन एक सौ एक वें पूर्वजन्म में आज की तरह आपने तब भी राजवंश में जन्म लिया था और अपने पुण्य कर्मों से बार-बार राजवंश में जन्म लेते रहे,
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