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श्रीमदभागवत कथा शृंखला का पुनः आरंभ कर रहे हैं. रोज एक या दो कथाएं आपके लिए देंगे. भागवत प्रेमी भागवत कथा श्रवण करते रहते हैं. भागवताचार्यगण उसके रस की सुंदर विवेचना करते हैं. हम आपको कथा भाग देते रहेंगे ताकि आप उस कथा श्रवण आनंद लेते रहें.
इस शृंखला को कथा अनुसार पिरोए रखने के लिए हम क्रम में थोड़ा बहुत अंतर करेंगे, इसके लिए आपसे अनुमति चाहते हैं. आज राजा परीक्षित की कथा सुनाते हैं जिसे भागवत की पृष्ठभूमि कहा जा सकता है.
परीक्षित ने अनेक वर्षों तक धर्मपूर्वक राज्य किया. उनका विवाह उत्तरकुमार की पुत्री इरावती से हुआ था. परीक्षित का एक परम प्रतापी पुत्र हुआ जनमेजय.
एक बार परीक्षित सरस्वती नदी के किनारे घोड़े पर सवार चले जा रहे थे. उन्हें एक पैर पर खड़ा बैल और एक जीर्ण-शीर्ण स्थिति में गाय दिखी.
गाय और बैल आपस में बातें कर रहे थे. तीन टांगे टूटी होने के कारण बैल मुश्किल से खड़ा कराह रहा था. उसने परेशान हाल गाय को देखा तो बात शुरू की.
बैल ने गाय से पूछा- हे पृथ्वी आप इतनी दुखी और कमज़ोर क्यों हो गई हैं? क्या दुष्ट आपको सता रहे हैं या फिर श्रीकृष्ण के अपने धाम चले जाने से धर्म के कमजोर पड़ने से दुखी हैं?
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