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एक राजा ने स्वप्न में एक साधु को देखा. साधु ने राजा को अगले दिन होने वाली उसकी मृत्यु के बारे में कुछ बता रहे थे. साधु ने बताया- कल रात तुम्हें एक विषैला सर्प डंसेगा और तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी.
साधु ने राजा को सर्प के रहने के स्थान के बारे में भी बताया कि वह अमुक पेड़ की जड़ में रहता है. पूर्वजन्म में तुमने उसका बड़ा अहित किया था. उसी शत्रुता का बदला लेने के लिए वह तुम्हें डंसेगा.
प्रातःकाल राजा सोकर उठा और स्वप्न की बात पर विचार करने लगा. राजा धर्मात्मा था और धर्मात्माओं को अक्सर सच्चे ही स्वप्न हुआ करते हैं. इसलिए सपना सत्य होगा इसका उसे विश्वास था.
राजा विचार करने लगा कि अब आत्मरक्षा के लिए क्या उपाय करना चाहिए? सोचते-सोचते राजा इस निर्णय पर पहुंचा कि मधुर व्यवहार से बढ़कर शत्रु को जीतने वाला और कोई हथियार इस पृथ्वी पर नहीं है.
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