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राम-रावण युद्ध जब निर्णायक मोड़ पर था. मायावी शक्तियों का प्रयोगकर रावण, वानर सेना को डराकर उसका मनोबल तोड़ने लगा. भगवान श्रीराम इससे चिंतित थे. देवताओं के संग आकाश से युद्ध देख रहे अगस्त्य मुनि श्रीराम के पास आए. उन्होंने कहा कि आसुरी शक्तियां प्रकाश से क्षीण पड़ती हैं. प्रकाश और ऊर्जा के अक्षय स्रोत भगवान सूर्य की आराधना कीजिए ताकि वह अपने तेज से शत्रुओं के मन में भय पैदा करें. भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए अगस्त्य मुनि ने प्रभु श्रीराम को अत्यंत गोपनीय और कल्याणकारी आदित्यहृदय स्तोत्र दिया जो शत्रुओं के हृदय में भय पैदा करता है.
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ श्रद्धापूर्वक नियमित रूप से करते रहने से हृदय रोग में, मिर्गी, ब्लड प्रेशर और मानसिक रोगों में लाभ मिलता है। इसके पाठ से नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति, प्रसन्नता और आत्मविश्वास में जबरदस्त वृद्धि होती है.
आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ का आरंभ शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से करना शुभ माना गया है.
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