एक बहुत अमीर राजा संक्षेप में यह जानना चाहता था कि सफल होने के लिए किन बातों का ज्ञान जरूरी है. इसके लिए उसने अपने राज्य के सबसे समझदार लोगों को बुलवाया.

राज्य के सभी ज्ञानी और गुणी पहुंचे. राजा ने सबसे कहा- आप सब यह रहस्य खोजकर लाएं कि सफल होने का सूत्र क्या है? आपको इसका उत्तर खोजकर लाने के लिए दस साल का समय देता हूं.

दस साल बाद समझदार लोग लौटे. फिर उन्होंने राजा के सामने 24 पुस्तकें रखते हुए कहा- सफल होने का रहस्य आप इन पुस्तकों से सरलता से समझ सकते हैं.

राजा ने कहा- चौबीस पुस्तकों वाला रहस्य सरल कैसे हुआ? यह तो बहुत जटिल दिख रहा है.संक्षिप्त जवाब खोजने के लिए आप सब दस साल और मेहनत करें.

राजा के आदेश पर विद्वान सफलता के सरल सूत्र की खोज में चले गए. दस साल बाद वे दोबारा लौटे. इस बार उन्होंने राजा के सामने सिर्फ एक पुस्तक रख दी.

राजा ने कहा- पहले से सरल तो हैं लेकिन यह अब भी थोड़ा जटिल लग रहा है. मैं आपको दस साल और देता हूं ताकि आप सफलता का संक्षिप्त सिद्धांत पता कर सकें.

विद्वान राजा के धन पर पोषित थे. सो आदेश मानकर फिर चले. दस साल और गुजर गए. समझदार लोग अब बूढ़े हो चुके थे. थकान भी होती थी. इस बार उन्होंने राजा को केवल एक कागज का टुकड़ा दिया.

इस पर लिखा था- दुनिया में कोई भी चीज मुफ्त में नहीं मिलती. राजा बड़ा खुश हुआ. समझदार लोगों को बधाई देते हुए बोला-आखिरकार आपने सफलता का सिद्धांत खोज ही लिया. दुनिया में कोई चीज मुफ्त नहीं मिलती.

राजा ने राजकोष से पोषित लोगों को व्यवहारिक संदेश और संकेत दे दिया था. संसार विनिमय के सिद्धांत पर चलता है. कुछ पाना है तो मोल के रूप में कुछ खोना भी पड़ेगा. त्याग ही सफलता की ओर लेकर जा सकता है.

संकलनः अनुज शर्मा
संपादनः राजन प्रकाश

यह प्रेरक कथा वृंदावन से अनुज शर्माजी ने भेजी.

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