श्रीकृष्ण के सभी स्वरूप कल्याणकारी हैं. उनके चमत्कारिक स्वरूपों के दुर्लभ मन्त्रों, भागवत महापुराण व अन्य पुराणों में वर्णित कृष्ण लीलाएं, संपूर्ण गीता ज्ञान के लिए डाउनलोड करें “कृष्ण लीला” एंड्राइड एप्प.
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एक कल्प की बात है. लक्ष्मी देवी और विष्णुजी बैकुंठ में सृष्टि निर्माण के विषय में चर्चा कर रहे थे. किसी बात पर क्रोधित होकर श्रीहरि ने लक्ष्मीजी को घोड़ी बनकर पृथ्वी पर जाने का शाप दे दिया.
देवी बहुत दुखी थीं. वह प्रभु को प्रणामकर पृथ्वी पर चली गईं. भ्रमण करते हुए वह यमुना और तमसा नदी के संगप पर सुपर्णाक्ष नामक स्थान पर पहुंचीं. इसी स्थान पर कभी सूर्यदेव की पत्नी संज्ञा ने घोड़ी के रूप में घोर तप किया था.
माता लक्ष्मी भी अश्वी के रूप में भगवान शिव का घोर तप करने लगीं. उनके कठिन तप से शिवजी प्रसन्न होकर प्रकट हो गए. शिवजी बोले- देवी मैं आपके मन की पीड़ा को जानता हूं.
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