October 8, 2025

शिवपुराणः एक शाप और मेना को मिला, पार्वतीजी की माता बनने का सौभाग्य

हम आपको शिवपुराण के सती खंड तक का प्रसंग ऐप्प में दे चुके हैं. आज पार्वती खंड का आरंभ करते हैं. शिवपुराण की कथाएं पढ़ने के लिए आप यहाँ क्लिक कर Mahadev Shiv Shambhu ऐप्प डाउनलोड कर लें.
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शिवपुराण ब्रह्माजी अपने पुत्र नारद को सुना रहे हैं.

नारदजी ने ब्रह्माजीसे पूछा- हे पिताश्री! आप मुझे सती के देहत्याग के बाद पार्वती के रूप में उनके फिर से अवतार की पूरी कथा सुनाएं. ब्रह्माजी ने नारद को कथा सुनानी आरंभ की.

उत्तर में पर्वतों में श्रेष्ठ हिमवान पर्वत हैं. हिम से आच्छादित रहने के कारण इन्हें हिमालय भी नाम पड़ा. हिमवान सौदर्य औऱ संपदा में सभी पर्वतों से श्रेष्ठ थे. भगवान शिव को ये अतिप्रिय थे और उन्होंने यहां ही निवास बना लिया था.

एक बार हिमवान को अपने कुल परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए विवाह की इच्छा हुई. हिमवान की इच्छा जानकर देवों ने पितरों से कहा कि वह अपनी मंगलरूपिणी पुत्री मेना का विवाह हिमवान से कर दें तो इससे हम देवों के दुखों के निवारण का मार्ग बनेगा.

देवों के अनुरोध पर पितरों ने मंत्रणा की और हिमवान से मेना का विवाह कर दिया. दक्ष की साठ कन्याओं में से एक थी स्वधा. स्वधा की तीन पुत्रियां थीं. मेना, धन्या व कलावती. मेना सबसे बड़ी थीं. ये तीनों पितरों के मन से उत्पन्न हुई थीं इसलिए मानस पुत्रियां थीं.

किसी स्त्री के गर्भ से उत्पन्न न होने के कारण ये तीनों अयोनिजा थीं. ये केवल लोकव्यवहार के लिए ही स्वधा की पुत्रियां कही जाती थीं. अन्यथा संपूर्ण जगत की वंदनीया माताएं थीं. एक बार तीनों बहनें विष्णुजी के दर्शन को विष्णुलोक पहुंची.

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