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पहले के तीन भागों में आपने पढ़ा कि श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरूद्ध और बाणासुर की पुत्री उषा को प्रेम हुआ. बाणासुर ने अनिरूद्ध को बंदी बना लिया तो श्रीकृष्ण चित्रलेखा ने अनिरुद्ध का अपहरण कर दोनों की शादी करा दी.
इस कारण बाणासुर और भगवान श्रीकृष्ण में युद्ध हुआ. बाणासुर को शिवजी ने उसकी रक्षा का वरदान दिया था. सो वह युद्ध में आए. श्रीकृष्ण के साथ उनका युद्ध भी हुआ.
अंततः शिवजी ने स्वयं श्रीकृष्ण को युद्ध से निकालने की राह बताई जिसका पालनकर श्रीकृष्ण ने बाणासुर को पराजित किया. पार्वतीजी के हस्तक्षेप से श्रीकृष्ण ने बाणासुर का वध नहीं किया. बाणासुर ने अनिरूद्ध और संध्या की विवाह की स्वीकृति दे दी. अब आगे.
विवाह का उत्सव निर्विघ्न समाप्त हो गया. लेकिन रूक्मी के मित्र कलिंगनरेश ने खलल डालने का षड़यंत्र किया और बलरामजी को चौसर के खेल के लिए चुनौती दे दी.
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आपके द्वारा दी गई कथाएँ काफी रोचक व ग्यानबर्धक है आपको कोटि कोटि आभार