satyanarayan bhagwan
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एक पुजारी थे.ईश्वर की भक्ति में लीन रहते. सबसे मीठा बोलते. सबका खूब सम्मान करते. जो जैसा देता है वैसा उसे मिलता है. लोग भी उन्हें अत्यंत श्रद्धा एवं सम्मान भाव से देखते थे.

पुजारीजी प्रतिदिन सुबह मंदिर आ जाते. दिनभर भजन-पूजन करते. लोगों को विश्वास हो गया था कि यदि हम अपनी समस्या पुजारीजी को बता दें तो वह हमारी बात बिहारीजी तक पहुंचाकर निदान करा देंगे.

एक टमटम वाले ने भी सवारियों से पुजारीजी की भक्ति के बारे में सुन रखा था. उसकी बड़ी इच्छा होती कि वह मंदिर आए लेकिन सुबह से शाम तक काम में लगा रहता क्योंकि उसके पीछे उसका बड़ा परिवार भी था.

उसे इस बात काम हमेशा दुख रहता कि पेट पालने के चक्कर में वह मंदिर नहीं जा पा रहा. वह लगातार ईश्वर से दूर हो रहा है. उसके जैसा पापी शायद ही कोई इस संसार में हो.

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