भगवान शिव भोले भंडारी हैं. महामृत्युंजय मंत्र के जाप से महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आयुष, जीवन, समृद्धि और समस्त सासांरिक सुख प्रदान करते हैं.
इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से अनिष्टकारी ग्रहों का दुष्प्रभाव तो समाप्त होता ही है, अटल मृत्यु तक को टाला जा सकता है…
ऋग्वेद में महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार दिया गया हैः
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
इस मंत्र को संपुटयुक्त बनाने के लिए इसका उच्चारण इस प्रकार किया जाता है…
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
&&&अर्थ&&&
हमारे पूजनीय भगवान शिव के तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जिनकी शक्ति से सम्पूर्ण विश्व का पालन-पोषण हो रहा हैं… हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि वह हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें ताकि प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति हो…
जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं…
संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली
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