प्रभुभक्तों हमने आपसे कश्यप व उनकी पत्नियों से संसार के प्राणियों की उत्पत्ति के बारे में परिचय देने का वादा किया था किंतु हमने कल जानबूझकर नहीं दिया.

वजह थी कि इस प्रसंग में आपको रस नहीं आएगा, साथ ही कुछ कुल ऐसे हैं जो अलग होते हुए एक हैं जिसके आपका भ्रम हो सकता है.

लेकिन आप लोगों के कई अनुरोध आए तो दे रहा हूं. वेदों में कश्यप और उनकी पत्नियों से संसार के जिन जीवों की उत्पत्ति की बात आई है वह इस प्रकार हैः

कश्यप ऋषि ब्रह्मा के मानस-पुत्र महर्षि मरीची और कर्दम ऋषि की पुत्री कला के पुत्र थे. ब्रह्मदेव ने अपनी संतानों को सृष्टि विस्तार का आदेश दिया था.

संसार के समस्त जातियों का आरंभ कश्यप और उनकी पत्नियों से हुआ है. इसलिए कश्यप की पत्नियां लोकमाता कहलाती हैं. मनुष्य को मनु पुत्र बताया गया है. उनका कुल इससे भिन्न हैं.

प्रजापति दक्ष ने अपनी 10 कन्याओं का विवाह धर्म से किया था. 13 कन्याओं का विवाह कश्यप से किया जो लोकमाताएं बनीं. बाद में दक्ष ने चार और पुत्रियां कश्यप से ब्याह दीं.

दक्ष की 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा के साथ हुआ जो 27 नक्षत्र हैं. 2 कन्याओं का विवाह अंगिरा से किया. बृहस्पति उनकी संतान हैं. 2 का विवाह कृशाश्व से हुआ.

अब हम आपको कश्यप की पत्नियों- अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतंगी और यामिनी से उत्पन्न हुई संतानों का संक्षेप में परिचय दे रहे हैं.

अदिति: अदिति के गर्भ से बारह आदित्यों को जन्म हुआ. विवस्वान्, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र के अलावा भगवान वामन ने भी अदिति के गर्भ से जन्म लिया. देवकुल अदिति की संतान हैं.

विवस्वान से मनु हुए और मनु तथा शतरूपा से संयोग से मानव हुए.

दिति : दिति के गर्भ से हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष दो पुत्र एवं सिंहिका नामक एक पुत्री का जन्म हुआ. दिति की संतानें दैत्य कहलाईं. दैत्य क्रूर और निरंकुश थे तथा ब्रह्मा व महादेव के अतिरिक्त किसी को भी स्वयं से श्रेष्ठ नहीं मानते.

इन तीन संतानों के अलावा दिति के गर्भ से कश्यप के 49 अन्य पुत्रों का जन्म भी हुआ, जो कि मरुन्दण कहलाए.

दनु : ऋषि कश्यप की पत्नी दनु से दानवों की उत्पत्ति हुई. दानव वीर थे किंतु मानवों के साथ इनकी शत्रुता थी. मानव देवताओं की आराधना करते थे इसलिए इनकी शत्रुता देवों के साथ भी रही. इनमें बड़ा साहस था.

काष्ठाः काष्ठा से घोड़े एवं एक खुर वाले सभी पशु उत्पन्न हुए.

अरिष्टाः इनसे गंधर्वों की उत्पत्ति हुई. गंधर्व देवताओं के सहयोगी थे और इन्हें उपदेवता का सम्मान प्राप्त हुआ. कुबेर व चित्रसेन प्रमुख गंधर्व हैं

धन व सौंदर्य के स्वामी गंधर्व स्वच्छंद स्वभाव के हुए. इनके विवाह के तरीके को ही गंधर्व विवाह कहा जाता है.

सुरसाः इनसे राक्षसों की उत्पत्ति हुई. राक्षस यानी रक्षा करने वाला. असुरों और दानवों से स्वभाव इनका मिलता था लेकिन ये उनसे ज्यादा संस्कारी और समर्थवान थे. ये शस्त्र और शास्त्रों का अध्य्यन भी करते थे. रावण राक्षस कुल का था.

इलाः कश्यप की पत्नी इला से ही संसार के समस्त वृक्ष, लता आदि वनस्पतियों का जन्म हुआ.

मुनिः कश्यप की पत्नी मुनि के गर्भ से अप्सराएं जन्मीं.

क्रोधवशाः इनसे संसार के विषैले जीव एव सांप, बिच्छु आदि सरीसृप पैदा हुए.

ताम्राः इन्होंने बाज, गिद्ध आदि शिकारी पक्षियों को संतान के रूप में जन्म दिया.

सुरभिः इनसे भैंस, गाय तथा दो खुर वाले दुधारू पशुओं की उत्पत्ति हुई.

सरमाः बाघ आदि हिंसक जीव और कुत्ते जैसे शिकारी पशु की उत्पत्ति इनसे हुई है.

तिमिः जितने भी जलचर मछलियां आदि हैं वे इनकी संतान के रूप में पृथ्वी पर आए.

विनताः इनके गर्भ से गरुड़ और वरुण पैदा हुए. गरूड़ श्रीविष्णु का वाहन बने तो वरूण सूर्य के सारथी.

कद्रूः इनकी कोख से नाग जाति की उत्पत्ति हुई, जिनमें प्रमुख आठ नाग थे-अनंत या शेषनाग, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक. ये सर्पों से अलग हैं.

पतंगीः इनके गर्भ से सभी पक्षियों का जन्म हुआ.

यामिनीः इनसे सभी शलभों यानी कीट-पतंगो का जन्म हुआ.

ब्रह्मदेव की आज्ञा से कश्यप ने वैश्वानर की दो पुत्रियों पुलोमा और कालका के साथ भी विवाह किया. पुलोमा से पौलोम वंश चला.

कालका से साठ हजार दैत्यों का जन्म हुआ जो कालकेय कहलाए. जिनसे देवों का रक्षा के लिए अगस्त्य ऋषि ने सुमुद्र को सुखा दिया था. शूर्पनखा का पति विद्युतजिह्व भी कालकेय दैत्य था जिसका वध रावण से हो गया था.

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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