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इस कथा को अंत तक पढ़ें. एक बार पुनः पढ़ें रात को सोते समय जब चारों तरफ शांति हो. आपका मन शांत हो. फिर एकाग्रचित होकर सोचना शुरू करें कि क्या आपने इससे पहले किसी समस्या का सामना आज तक नहीं किया?
क्या उस समय भी आपको ऐसे नहीं लगता था कि अगर यह समस्या दूर न हुई तो सबकुछ बिखर जाएगा. कुछ समय बाद वह समस्या दूर हुई या नहीं हुई? आप पुनः एक नई परेशानी में हैं. फिर वही भाव आ रहे हैं? पहले यह कथा पढ़िए फिर अंत में बात करता हूं.
बहुत समय पहले की बात है एक महाज्ञानी महात्मा हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहते थे. लोगों के बीच रहकर वह थक चुके थे और अब ईश्वर भक्ति करते हुए शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहते थे.
लेकिन उनकी प्रसिद्धि इतनी थी कि लोग दुर्गम पहाड़ियों, संकरे रास्तों, नदी-झरनों को पारकर के भी उनसे मिलना चाहते थे. उनका मानना था कि यह विद्वान उनकी हर समस्या का समाधान कर सकता है.
इस बार भी कुछ लोग ढूंढते हुए उनकी कुटिया तक आ पहुंचे. महात्माजी ने उन्हें इंतज़ार करने के लिए कहा. इंतजार करते तीन दिन बीत गए. अब और भी कई लोग वहां पहुंच गए. लोगों के लिए जगह कम पड़ने लगी.
फिर महात्माजी बोले- मैं आपके प्रश्नों का उत्तर दूंगा, पर आपको वचन देना होगा कि यहां से जाने के बाद आप किसी और से इस स्थान के बारे में नहीं बताएंगे ताकि अब मैं एकांत में रहकर अपनी साधना पूरी कर सकूं. एक-एक करके परेशानी बताओ.
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