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अछूत होने के कारण वह आश्रम के अंदर प्रवेश करने का साहस नहीं जुटा सकी और वहीं दरवाज़े के पास गठरी−सी बनी बैठ गई.
ऋषि आश्रम में नहीं थे. क़ाफी देर बाद मतंग ऋषि वहां पहुंचे तो श्रमणा को देखकर चौंक पड़े. उन्होंने श्रमणा से आने का कारण पूछा.
श्रमणा ने रोते-रोते बता दिया कि श्रीराम भक्ति के कारण उसका बड़ा निरादर और अपमान हो रहा था इसलिए उसने घर ही छोड़ दिया.
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