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भील परिवार में जन्मी शबरी का असली नाम था श्रमणा. श्रमणा बचपन से ही श्रीराम की बड़ी भक्त थी.

वन में उसके निवास के पास ही ऋषिय़ों के आश्रम और गुरुकुल थे. गुरुकल के छात्रों को पूजा-अर्चना करते देख उसने पूजा विधि सीख ली.

श्रमणा को जब भी समय मिलता, भगवान श्रीराम भगवान की पूजा-आरती करती. उसकी भक्ति उसके परिजनों को ज्यादा सुहाती न थी.

बड़ी होने पर श्रमणा का विवाह हो गया. अब वह जिस माहौल से आती थी, जाहिर है विवाह भी वैसे ही परिवार में हुआ.

पति के मन के अनुरूप नहीं मिला. ससुराल के लोग अत्यंत अनाचारी और हिंसक प्रवृति के थे.

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