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संध्या नहीं चाहती थी कि युवावस्था को प्राप्त करने से पूर्व किसी कन्या में कामसुख की लालसा पैदा हो. वशिष्ठ ब्रह्मचारी का वेष धरकर संध्या के पास गए. उन्होंने संध्या का परिचय और तप का उद्देश्य पूछा.

संध्या ने कहा कि वह ब्रह्मा की पुत्री हैं. अपने मन में उत्पन्न कलुषित विचारों से दुखी होकर मानसिक शांति के लिए यहां तप कर रही हूं. वशिष्ठ बोले- हम सभी ब्रह्मा की संतान हैं क्योंकि भगवान ने उन्हें सृष्टि रचना को भेजा है.

परमात्मा के आदेश पर सृष्टि की रचना का कार्य हो रहा है. ब्रह्माजी ने हमारी रचना अपनी कल्पना के आधार पर की. उन्हें भी नहीं पता था कि वह जो बनाने वाले हैं उसका परिणाम क्या होगा. हर रचना में विकास का क्रम होता है.

वशिष्ठ ने कहा- तप उत्तम साधन है. इससे आपके प्रश्नों का उत्तर और मार्ग दोनों मिल जाएंगे. मैं आपको शिवजी को प्रसन्न करने के मंत्र और साधन बताता हूं. आप इसका पालन करते हुए शिवकृपा प्राप्त करें.

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